Move to Jagran APP

यमुना के 19 सैंपल फेल, चार विभाग कठघरे में, दिल्ली का पानी भी हो रहा प्रदूषित, बीओडी की मात्रा मिली 260 तक

जुलाई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लिए गए यमुना नहर के 19 सैंपल लिए थे जो फेल हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 06:54 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 06:54 AM (IST)
यमुना के 19  सैंपल फेल, चार विभाग कठघरे में, दिल्ली का पानी भी हो रहा प्रदूषित, बीओडी की मात्रा मिली 260 तक
यमुना के 19 सैंपल फेल, चार विभाग कठघरे में, दिल्ली का पानी भी हो रहा प्रदूषित, बीओडी की मात्रा मिली 260 तक

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

loksabha election banner

जुलाई माह में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लिए गए यमुना नहर के पानी के 19 सैंपल फेल आए हैं। जिसके बाद बोर्ड ने चार विभागों को नोटिस जारी किया गया है। इस रिपोर्ट में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 260 तक मिली है जबकि इसकी मात्रा 30 मिलीग्राम पर लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। बता दें कि यमुना नहर का पानी दिल्ली में पीने और दक्षिण हरियाणा में सिचाई के लिए भी काम आता है।

यहां से लिए गए थे सैंपल :

दादपुर गांव के पास से दो, किशनपुरा, फेतहगढ़, निगम एरिया दड़वा, पांच एमएलडी एमपीएस के पास, श्मशान घाट बाड़ी माजरा, आजाद नगर के पास से, हमीदा के पास से, 10 एमएलडी बाड़ी माजरा के पास से, परवालो के पास से, कांजनू के पास से, रादौर के पास से सहित 19 स्थानों से यमुना के सैंपल लिए गए। सात जुलाई को लिए गए सैंपलों की रिपोर्ट अब आई है। इसके अलावा भी शहर से निकल रहे दर्जन भर नाले अन्य स्थानों से पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं। दड़वा डेयरी के पास सबसे ज्यादा दूषित पानी की रिपोर्ट आई है। मेटल इकाइयों से निकल रहा केमिकल युक्त पानी

यमुनानगर-जगाधरी में मेटल की बड़ी इकाइयां हैं। जिनसे से निकल रहा केमिकल युक्त पानी नालों के माध्यम से सीधे यमुना नहर में गिर रहा है। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है। केमिकल युक्त दूषित पानी से टाइफाइड, डायरिया जैसे जल जनित बीमारी हो जाती हैं। यमुना नहर में बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से जलीय जीवों का जीवन संकट में है। लोगों की आस्था भी आहत होती है। यह योजना भी नहीं चढ़ी सिरे

एनजीटी के आदेशों के बावजूद पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नगर निगम के नालों को एसटीपी में डाइवर्ट नहीं किया गया। यह योजना नगर निगम और सिचाई विभाग के बीच उलझी है। यमुनानगर-जगाधरी शहर के अलावा आसपास के गांवों से भी गंदे पानी की निकासी के नाले नहर में गिर रहे हैं। सिचाई विभाग से एनओसी न मिलने के कारण योजना लटक गई है। योजना पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। जो नाले पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं, उनके बहाव को मोड़ने के लिए पाइप लाइन बिछाई जाएगी। यह लाइन पश्चिमी यमुना नहर की पटरी के साथ बिछाई जानी है। इसके नगर निगम को सिचाई विभाग से एनओसी लेनी है। हालांकि एक बार नगर निगम ने काम शुरू कर दिया था, लेकिन सिचाई विभाग के अधिकारियों ने आपत्ति जताई। इसको पटरी के लिए खतरा करार देते हुए काम रुकवा दिया गया। यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ। 15 दिन में मांगा है जवाब

यमुना नहर में केमिकल युक्त व दूषित पानी वाले नाले डालना गलत है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नगर निगम, पंचायत विभाग, रादौर नगर पालिका, पब्लिक हेल्थ को नोटिस दिए है। इनसे 15 दिन में जवाब मांगा गया है।

निर्मल कश्यप, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.