आरसी फर्जीवाड़ा : ऑपरेटर अमित से महज 50 हजार की रिकवरी, भेजा जेल
आारसी फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार किए गए कंप्यूटर आपरेटर अमित की रिमांरू पूरी हो गई है। अब उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर: आारसी फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार किए गए कंप्यूटर आपरेटर अमित का वीरवार को रिमांड पूरा हो गया। अब उसे जेल भेज दिया गया। रिमांड के दौरान उससे महज 50 हजार रुपये ही बरामद हो गए। इस दौरान उसके पासपोर्ट की फोटोकॉपी भी एसआइटी ने कब्जे में ली है। हालांकि एसआइटी उसका पासपोर्ट जब्त करना चाहती थी, लेकिन कोर्ट में अमित के अधिवक्ता ने इसके विरोध में बहस की थी। पूछताछ के दौरान कई प्रशासनिक अफसरों व कर्मियों के नाम भी सामने आए हैं, लेकिन अभी तक कोई अन्य आरोपित इस केस में नहीं बनाया गया है।
आरसी फर्जीवाड़े में जगाधरी एसडीएम की ओर से सेक्टर 17 थाने में केस दर्ज कराया गया था। इसमें कंप्यूटर आपरेटर अमित के साथ तीन अन्य कर्मियों शुभम, गगनदीप व कुनाल पर केस दर्ज हुआ था। वहीं एक अन्य केस बिलासपुर थाने में एसडीएम की ओर से अमित के खिलाफ दर्ज कराया गया था। इन केसों में अब तक चार गिरफ्तारी हो चुकी है। मामले की जांच कर रही एसआइटी ने एमआरसी राजेंद्र डांगी, संजीव, आपरेटर अमित व डीलर सुनील को गिरफ्तार किया था। इनमें से राजेंद्र डांगी, संजीव व सुनील चिटकारा को जेल भेजा जा चुका है। अमित 33 दिन तक रहा रिमांड पर : फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपित कंप्यूटर आपरेटर अमित को ही माना जा रहा है। उसे पहले सिरसा पुलिस ने 12 दिन के रिमांड पर रखा। फिर उसे एसआइटी ने बिलासपुर थाने में दर्ज केस में आठ दिन के रिमांड पर लिया और बाद में सेक्टर 17 थाना में दर्ज केस में दो बार रिमांड पर लिया गया। पहले दस दिन, फिर तीन दिन के रिमांड पर रखा। इस तरह से 33 दिन तक अमित पुलिस की रिमांड पर रहा। पूछताछ में उससे काफी राज खुले, लेकिन अभी तक न तो सिरसा पुलिस और न ही एसआइटी यमुनानगर की जांच आगे बढ़ सकी। गाड़ी की पुलिस रिकवर नहीं कर सकी और न ही किसी अन्य आरोपित की इस केस में गिरफ्तारी हो सकी। जांच टीम पूछताछ में आए नामों का खुलासा भी नहीं कर रही है। अब डीलरों की तलाश पुलिस को : अमित के रिमांड के दौरान पूछताछ में कई डीलरों के नाम भी समाने आए है। ये डीलर रोहतक व सोनीपत के रहने वाले हैं। यह भी पता चला है कि तीन साल से ज्यादा समय से यह फर्जीवाडा चल रहा था। स्टार व हैच लगाकर कर वाहनों का रजिस्ट्रेशन होता था। साफ्टवेयर की खामी का लाभ उठाया जाता था। इस दौरान 15 सौ से ज्यादा वाहनों के रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़ा होने की आंशका जताई गई थी। जिसका रिकार्ड अभी तक जांच टीम पूरा नहीं जुटा पाई। जब इस मामले की सिरसा पुलिस ने परत खोली, तो उसके बाद सरकार ने पहले जगाधरी एसडीएम दर्शन सिंह और बाद में बिलासपुर एसडीएम वीरेंद्र ढूल का तबादला कर दिया। इन दोनों ने ही सेक्टर 17 और बिलासपुर थाने में फर्जीवाडे का केस दर्ज करवाया था।