बारिश से गिरा धान का उत्पादन, प्रति एकड़ छह से आठ ¨क्वटल पैदावार घटी
सीजन में हुई जोरदार बारिश धान की फसल पर भारी पड़ गई। औसत पैदावार में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। बारीक धान पर असर अधिक देखा जा रहा है। प्रति एकड़ छह से आठ क्विंटल पैदावार कम आ रही है। दूसरा, रेट में भी गिरावट है। ऐसे में उत्पादक किसान को प्रति एकड़ भारी नुकसान झेलने पर मजबूर है। बता दे कि मई माह में 19 एमएम, जून माह में 62.4
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
सीजन में हुई जोरदार बारिश धान की फसल पर भारी पड़ गई। औसत पैदावार में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। बारीक धान पर असर अधिक देखा जा रहा है। प्रति एकड़ छह से आठ क्विंटल पैदावार कम आ रही है। दूसरा, रेट में भी गिरावट है। ऐसे में उत्पादक किसान को प्रति एकड़ भारी नुकसान झेलने पर मजबूर है। बता दे कि मई माह में 19 एमएम, जून माह में 62.48, जुलाई माह में 368 व अगस्त माह में 299 एमएम बरसात हुई है।
किसानों के मुताबिक बीते वर्ष धान की 1509 किस्म की पैदावार भी ठीक थी और कीमत भी। 22 से 25 ¨क्वटल प्रति एकड़ पैदावार निकली। इस बार जुलाई माह में लगातार बारिश शुरू हो गई। इस दौरान फसल निसर रही थी। जिसके कारण बलियों में दाना नहीं बन पाया। यही कारण रहा कि प्रति एकड़ पैदावार 14 से 18 क्विंटल तक सिमट कर रह गई। किसानों के मुताबिक कटाई के शुरुआती दौर में रेट भी अच्छा था। मंडी में 3000 से 3100 रुपये प्रति ¨क्वटल तक धान बिकी जो अब गिरकर 2200-2400 रुपये प्रति ¨क्वटल रह गया है। दूसरा, बारीक धान की सरकारी खरीद न होने से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। धान की खरीद में साहुकार की मनमर्जी हावी रहती है।
तेज बारिश से खेतों में बिछी धान
बीते दिनों तेज हुई तेज बारिश के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल जमीन पर बिछ गई। इन दिनों फसल पककर तैयार थी। गिर जाने से पैदावार भी प्रभावित हुई है और दाना भी बदरंग हो गया। क्षेत्र के किसान रोहित कुमार, पवन कुमार व राजेंद्र का कहना है कि धान की फसल में इस बार काफी नुकसान हो रहा है। फसल पर लागत बढ़ी है जबकि पैदावार घट रही है। दाम भी वाजिब नहीं मिल रहे हैं। हालांकि खेत फसल से भरे हुए हैं, लेकिन पैदावार काफी कम है। रेट की ओर किसान ध्यान दे तो नुकसान की भरपाई हो सकती है। इनसेट
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष रामबीर ¨सह चौहान का कहना है कि बारीक धान इस बार घाटे का सौदा साबित हो रही है। बारिश का असर हाइब्रिड वेराइटियों पर भी देखा जा रहा है। मंडियों में भी किसानों का शोषण हो रहा है। मोटे धान का भी समर्थन मूल्य किसानों को नहीं मिल रहा है। रेट 1700 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मंडियों में 1500-1550 रुपये तक बिक रहा है। इस दिशा में सरकार ध्यान दे ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े।
वर्जन
1509 किस्म की धान की पैदावार वैसे भी कम होती है, लेकिन बारिश का असर भी देखा जा रहा है। जिले में इसका रकबा अधिक नहीं है। हाइब्रिड किस्मों की धान अधिक है। इसकी पैदावार पर असर कम है।
-डॉ. सतबीर ¨सह लोहिया, उपमंडल अधिकारी।