डिच ड्रेन पर एसटीपी लगवाएगा जन स्वास्थ्य विभाग, निगम ने की सिफारिश
भूमि व प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही डिच ड्रेन के पानी के शुद्धिकरण के लिए अब एसटीपी लगवाए जाने की योजना है। इसके लिए हमीदा के आसपास जगह चिन्हित की जा रही है। नगर निगम ने जन स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर एसटीपी बनवाए जाने की सिफारिश की है। हालांकि लंबे समय से यह तय नहीं हो पा रहा था कि एसटीपी कौन सा विभाग बनवाएगा क्योंकि इसका संबंध सिचाई विभाग जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
भूमि व प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही डिच ड्रेन के पानी के शुद्धिकरण के लिए अब एसटीपी लगवाए जाने की योजना है। इसके लिए हमीदा के आसपास जगह चिन्हित की जा रही है। नगर निगम ने जन स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर एसटीपी बनवाए जाने की सिफारिश की है। हालांकि लंबे समय से यह तय नहीं हो पा रहा था कि एसटीपी कौन सा विभाग बनवाएगा क्योंकि इसका संबंध सिचाई विभाग, जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग, नगर निगम व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से है। सभी विभाग एक दूसरे की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ रहे थे। लेकिन गत दिनों एनजीटी के चेयरमैन ने डिच ड्रेन पर एसटीपी बनवाने के आदेश दिए थे। इनसेट
एसटीपी इसलिए जरूरी
मेटल फैक्ट्रियों और अन्य बड़ी औद्योगिक इकाइयों का जहरीला पानी सीधे नदियों में न गिरे इसके लिए कुछ वर्ष पूर्व पश्चिमी यमुना नहर के साथ-साथ डिच ड्रेन बनवाई गई थी। हमीदा हेड से रादौर की ओर चलते हुए जहां से डिच ड्रेन शुरू होती है वहीं से इसका गंदा व जहरीला पानी पश्चिमी यमुना नहर के साथ-साथ बह रहा है। आगे जाकर करनाल जिले में जाकर यमुना नदी को प्रदूषित करने का काम कर रहा है। यदि इस पर एसटीपी लग जाए तो पानी ट्रीट होकर ही नदियों में गिरेगा। इससे जल व भूमि प्रदूषण भी नहीं होगा और पानी का सदुपयोग भी हो सकेगा। इनसेट
चर्चाओं में रही परियोजना
शहर की औद्योगिक इकाइयों का गंदा व जहरीला पानी यमुना नहर में जाने से रोकने के लिए न्यायालय के आदेशों पर 13.71 करोड़ की लागत से बनाई गई थी। शुरू से ही यह परियोजना चर्चाओं में रही। इसकी नियमित रूप से सफाई नहीं होती। मच्छरों की भरमार है। जहां आबादी है, वहां लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ऐसे बीमारियों के फैलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। फैक्ट्री मालिकों की मनमानी
कई इकाइयां अपने जहरीले पानी को बिना ट्रीट किए बाहर छोड़ रही हैं। जगाधरी में मेटल उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में घर-घर चल रहे है। यहां बर्तनों के निर्माण और उनकी पालिश के लिए तेजाब का इस्तेमाल किया जाता है। इस तेजाबी पानी को सीधे नालियों या सीवरेज में छोड़ा जा रहा है, जो नालों से होता हुआ ड्रेन में गिर रहा है। इनसेट
जल्द बनाया जाए एसटीपी
भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान व जिलाध्यक्ष पिटू राणा का कहना है कि यमुनानगर के गंदे और केमिकल युक्त पानी की निकासी के लिए डिच ड्रेन बनाई गई थी। यह ड्रेन अभिशाप साबित हो रही है। कच्ची डिच ड्रेन से सबसे ज्यादा नुकसान यमुना नहर किनारे बसे लोगों को उठाना पड़ रहा है। डिच ड्रेन यमुनानगर से बनानी शुरू की गई करनाल तक इसे बनाया गया। करनाल में भी इसका गंदा पानी यमुना नदी में मिल रहा है। इसकी नियमित रूप से सफाई करना व पानी को ट्रीट करने की योजना जल्द बनाई जानी चाहिए। इनसेट
डिच ड्रेन पर एसटीपी बनाए जाने को लेकर जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से बात हुई है। हमीदा क्षेत्र में जगह तलाशी जा रही है। हमारा प्रयास है कि इसके कारण प्रदूषण न हो।
अजय सिंह तोमर, कमिश्नर, नगर निगम।