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9.15 करोड़ की परियोजना के रास्ते में आई निजी जमीन, उलझे अफसर, काम रुका

नगर निगम अधिकारी इस बाधा को दूर करने में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 05:34 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:18 AM (IST)
9.15 करोड़ की परियोजना के रास्ते में आई निजी जमीन, उलझे अफसर, काम रुका
9.15 करोड़ की परियोजना के रास्ते में आई निजी जमीन, उलझे अफसर, काम रुका

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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बारिश के पानी की निकासी के लिए कन्हैया साहिब चौक से डिच ड्रेन तक 9.15 करोड़ की परियोजना के रास्ते में अब निजी जमीन आ गई। नगर निगम अधिकारी इस बाधा को दूर करने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। बड़ा सवाल यह है कि डिजाइनिग के दौरान इस पहलू पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। जबकि एस्टिमेट व डिजाइनिग के लिए वेबकॉस कंपनी को पेमेंट भी की जा चुकी है। यह पेमेंट करीब सात लाख रुपये बताई जा रही है। यह लापरवाही अब ट्विन सिटी पर भारी पड़ रही है। इससे पहले भी कई काम सही डिजाइनिग न होने के कारण रुक चुके हैं। यह मामला अब विधानसभा की पीटिशन कमेटी में चला गया है। पहली दिक्कत :

बाईपास पुल के पास रुका काम

बरसाती पानी की निकासी के लिए अमरूत योजना के तहत भाई कन्हैया साहिब चौक से डिच ड्रेन तक 4500 मीटर सीवर लाइन बिछाने की योजना है। फरवरी-2019 में विधायक घनश्याम दास अरोड़ा और मेयर मदन चौहान इस परियोजना का शुभारंभ किया था। उम्मीद थी कि मानसून सीजन से पहले सीवर लाइन बिछ जाएगी। उसके बाद क्षेत्र की कालोनियों में पानी की निकासी की दिक्कत नहीं रहेगी। यह लाइन नेशनल हाईवे के साथ-साथ जम्मू कालोनी होते हुए डिच ड्रेन में गिरेगी। इन कालोनियों का पानी आएगा

बारिश के दिनों में जगाधरी शहर, माडल टाउन, सरोजनी कालोनी , कैंप एरिया, वर्कशॉप रोड, आइटीआइ, चांदपुर, जम्मू कालोनी, विष्णु नगर, कृष्णा कालोनी, हरिनगर, मॉड्रर्न कालोनी, टेगोर गार्डन, बैंक कालोनी और प्रोफेसर कालोनी जलमग्न हो जाती हैं। इनमें बाढ़ के जैसी स्थिति बन जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए यह सीवर लाइन बिछाई जा रही है। यह पानी सीधे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में गिरेगा। वहां से ट्रीट होने के बाद डिच ड्रेन में गिरेगा। पानी निकासी बड़ी समस्या

यमुनानगर-जगाधरी शहर में पानी की निकासी की समस्या बड़ी है। थोड़ी सी बारिश होती ही कई कालोनियां जलमग्न हो जाती हैं। समय कर करवट के साथ आबादी तो बढ़ी, लेकिन पानी की निकासी को दुरुस्त नहीं किया गया। बीते वर्ष ट्विन सिटी में बाढ़ के जैसी स्थिति बन गई थी। दो दिन में स्थिति सामान्य हुई थी। उसके बाद निकासी की ये प्लानिंग तैयार हुई, लेकिन अभी तक यह भी अफसरशाही में उलझी है। दूसरी दिक्कत :

अनुमति भी नहीं ले पाए अधिकारी

पाइप लाइन दबाने के लिए रेलवे लाइन क्रॉसिग व पेड़ काटने की अनुमति भी नगर निगम को अभी तक नहीं मिल पाई है। पाइप लाइन दबाने के लिए दोनों विभागों की अनुमति जरूरी है। बारिश के सीजन में हर साल शहर जल-भराव की समस्या से जूझता है, लेकिन निकासी की इस परियोजना को लेकर अफसर गंभीर नहीं हैं। हालांकि सड़क के साथ-साथ कुछ एरिया में पाइप लाइन दबाई जा चुकी है, लेकिन बाइपास पुल के पास पहुंचकर काम रोक दिया गया। जल्द मिल जाएगी दोनों विभागों से अनुमति

पाइप लाइन दबाने के लिए रेलवे व फॉरेस्ट विभाग से अनुमति जरूरी है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। जल्दी ही दोनों विभागों से अनुमति मिल जाएगी। पाइप लाइन के रूट में निजी जमीन का भी इश्यू है। इसको दूर करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है जल्दी ही सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी।

विकास बालियान, एक्सईएन, नगर निगम।


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