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मानव तन परमात्मा की अनमोल रचना : भारती

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सतसंग सुप्रीति भारती ने कहा कि यह मानव तन परमात्मा की अनमोल रचना है। क्योंकि इस तन में ही हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। परंतु यह सब संभव तभी हो पाता है जब हमारे जीवन में एक ब्रहमनिष्ठ गुरुदेव का पर्दापण होता है। यह समय के पूर्ण सदगुरु ही होते हैं जो हमें हमारी इस आत्मा के प्रति जागरूक करते है। हमारे शारीरिक घट के भीतर ही ईश्वर का साक्षात्कार करा देते है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 05:27 AM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 05:27 AM (IST)
मानव तन परमात्मा की अनमोल रचना : भारती
मानव तन परमात्मा की अनमोल रचना : भारती

जागरण संवाददाता, जगाधरी : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हनुमान गेट स्थित आश्रम में आयोजित साप्ताहिक सतसंग सुप्रीति भारती ने कहा कि यह मानव तन परमात्मा की अनमोल रचना है। क्योंकि इस तन में ही हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं। परंतु यह सब संभव तभी हो पाता है जब हमारे जीवन में एक ब्रहमनिष्ठ गुरुदेव का पर्दापण होता है। यह समय के पूर्ण सदगुरु ही होते हैं जो हमें हमारी इस आत्मा के प्रति जागरूक करते है। हमारे शारीरिक घट के भीतर ही ईश्वर का साक्षात्कार करा देते है। इसलिए हमारे शास्त्र ग्रंथ भी कहते है कि यह मानव तन प्राप्त हो जाने का एकमात्र वास्तविक लक्ष्य है। इसलिए ये कहना कोई अतिश्योक्ति का विषय नहीं कि अपने जीवन में एक सच्चे सदगुरु का संग पाकर ही एक इंसान महान एवं श्रेष्ठ व्यक्तित्व का मालिक बन पाता है। तभी वह समाज के लिए भी अथाह प्रेरणा का स्त्रोत बन पाता है। तब उस आत्मज्ञानी शिष्य का प्रत्येक कर्म निस्वार्थ भावना से परिपूर्ण होता है एवं समाज को समर्पित होता है। क्योंकि सदगुरु की कृपा से उसको समझ आ जाता है कि परमात्मा कण कण में समाया हुआ है। वह सभी प्राणियों के भीतर भी है। इसलिए सदगुरु के दिखाये हुए सत्य मार्ग पर चलते हुए वह सभी लोगों से एक समान आचरण करता है। क्योंकि वह जान जाता है कि सभी में ही परमात्मा का अंश आत्मा विद्यमान है। बाहरी ²ष्टि से चाहे सभी के रूप रंग अलग है परन्तु भीतर से सभी जन एक है। इसी कारण से हमारे सभी शास्त्र ग्रंथ कहते है कि जब आत्मज्ञान प्राप्त ऐसे महान व सुंदर व्यक्तित्व से संपन्न व्यक्तियों का निर्माण होता है तब एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता है। परन्तु ऐसा तभी संभव हो पाता है जब एक व्यक्ति के जीवन में समय के पूर्ण सदगुरु का पर्दापण होता है। जो इंसान के शरीर के भीतर ही परमात्मा का दर्शन करवा देते है। तभी वह व्यक्ति सदगुरु द्वारा दिखाये हुए सत्य मार्ग पर चल अपना जीवन सरल बना पाता है।

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