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धान के साथ-साथ अनाज मंडियों में राजनीति की रंगत भी

धान के साथ-साथ अनाज मंडियों में राजनीति की रंगत भी है। लाला जी की दुकान में बैठे किसान चाय की चुस्कियों के साथ हरियाणा की राजनीति पर चर्चा कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 09:48 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 09:48 AM (IST)
धान के साथ-साथ अनाज मंडियों में राजनीति की रंगत भी
धान के साथ-साथ अनाज मंडियों में राजनीति की रंगत भी

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : धान के साथ-साथ अनाज मंडियों में राजनीति की रंगत भी है। लाला जी की दुकान में बैठे किसान चाय की चुस्कियों के साथ हरियाणा की राजनीति पर चर्चा कर रहे हैं। अब तक टिकट दिए जाने को लेकर कयास लग रहे थे, लेकिन अब हार-जीत के समीकरण बिठाए जा रहे हैं। कांग्रेस की गुटबाजी पर खूब चुस्की ली जा रही है। बुधवार को दैनिक जागरण संवाददाता ने जगाधरी अनाज मंडी का दौरा किया।

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बदल रहे राजनीति के मायने

आढ़ती की एक दुकान में बैठे किसान आपस में बतिया रहे थे। जुबां पर किस्से राजनीति के ही थे। पुराने नेताओं के उदाहरण भी दिए जा रहे थे और भविष्य की राजनीति पर भी मंथन था। सुढैल से किसान दलजीत सिंह, रणधीर सिंह, कलानौर से रमेश चंद व मंडोली से युनुश मोहम्मद का कहना है कि अब राजनीति के मायने बदल रहे हैं। मतदाता भी जागरूक हो रहा है। हर पहलु पर सोच विचार करके ही अपने मत का प्रयोग करता है। अपने प्रत्याशी के व्यवहार को परखता है और क्षेत्र के प्रति उसके लगाव को भी। यह भी देखा जाता है कि प्रत्याशी बाहरी है या क्षेत्रीय। अब वे दिन लद गए जब बहकावे में आकर मतदान कर देते थे। उनका कहना है कि हमें ऐसे ही नेता को चुनना चाहिए जिसकी सोच सकारात्मक हो। हर वर्ग के हित की बात करने वाला हो। जैसा व्यवहार अब, 5 वर्ष ऐसा ही हो

तिगरा के किसान लेखराज, साबापुर के श्रवण कुमार व बहरामपुर के किसान विकास कुमार चुटकी लेते हुए कहते हैं कि इन दिनों नेताओं के व्यवहार में काफी शालीनता देखी जा रही है। उनकी नजर में छोटा-बड़ा नहीं है। बड़ों के चरण स्पर्श हो रहे हैं। छोटों से हाथ भी मिला रहे हैं। सभी से राम-राम हो रही है। गले भी मिल रहे हैं। बस ऐसा ही व्यवहार पांच साल तक बना रहे तो जनता खुश रहती है। उनका कहना है कि हमें मतदान जरूर करना चाहिए। यह हमारा अधिकार है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर व्यक्ति को मतदान करना चाहिए। चुनाव से पहले ही लड़ बैठे ये तो

मंडी में धान लेकर आए राजकुमार चहेरा आसमान में आए बादलों से चेहरा उतरा हुआ था। जब चुनावी बात शुरू हुई तो वे तैश में आए और बोले ये बड़ी पार्टी के नेता क्या चुनाव लड़ेगे, जो टिकट के लिए ही लड़ रहे हैं। ये अनुशासन की कमी के कारण हो रहा है। जहां पर अनुशासन होता है वहां की सभी तरह की व्यवस्था दुरूस्त रहती है।


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