जाम से परेशान आवाम, बस रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर करते रहे इंतजार
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जिले के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए जाम के कारण जनता को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ा। हालांकि पुलिस ने कई रूटों को डायवर्ट किया। बावजूद इसके लोगों को गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर सवारियां दिनभर बैठी रही। लोगों का कहना है कि सरकार बातचीत के माध्यम से किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए ताकि जाम जैसी नौबत ही न आए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जिले के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए जाम के कारण जनता को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ा। हालांकि पुलिस ने कई रूटों को डायवर्ट किया। बावजूद इसके लोगों को गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर सवारियां दिनभर बैठी रही। लोगों का कहना है कि सरकार बातचीत के माध्यम से किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए ताकि जाम जैसी नौबत ही न आए। फोटो : 14
मेरठ से आकर हरनौल जाम में फंसे :
कलानौर-कैल बाइपास पर गांव हरनौल के पास पुलिस ने नाका लगाकार वाहनों को डायवर्ट किया, लेकिन यहां से मेरठ से अंबाला जाने के लिए बस जाम में फंस गई। सवारी रमजान, खुर्शीद व सलमा ने बताया कि वह सुबह आठ बजे बस में बैठे थे। उनको शादी-समारोह में शामिल होने के लिए अंबाला जाना था। लेकिन अब जाम में फंसे हुए हैं। उनको जाम के बारे में जानकारी नहीं थी। इसलिए घर से चल दिए।
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सास बीमार है, कुरुक्षेत्र जाना था
सहारनपुर जिले के चिलकाना निवासी इरफान ने बताया कि उसी सास बीमार है। परिवार के साथ कुरुक्षेत्र जाना था। यमुनानगर तक मैजिक तक पहुंच गए, लेकिन यहां आकर फंस गए। सामान और बच्चे साथ हैं। ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ गई। फोटो : 16
फीस तो भर दी, घर कैसे जाऊं
बहादुरपुर के गौरव कांबोज ने बताया कि वह एमएलएन कालेज में फीस भरने के लिए आया था। फीस तो भर दी, लेकिन गांव में कैसे जाऊंगा, यह सोचकर परेशान हूं। सुबह का बस स्टैंड पर खड़ा हूं। बस नहीं मिल रही है। बसें बंद करने का मतलब जनता की परेशानी को बढ़ाना है।
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वापस भतीजे के घर लौटना पड़ा
बस स्टैंड पर पहुंची सहारनपुर की जरीना ने बताया कि वह कैंप में अपने भतीजे के घर आई थी। यहां से उसको चंडीगढ़ अस्पताल में दवाई लेने के लिए जाना था। बस स्टैंड पर पहुंची तो पता लगा कि बसें बंद हैं। उसको वापस कैंप ही जाना पड़ा। उनका कहना है कि जनता की परेशानी को समझना चाहिए। बातचीत के माध्यम से भी हल निकल सकता है।