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सैंपलिग के लिए लोगों को करना पड़ रहा इंतजार

मौसम में बदलाव की वजह से वायरल के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना के भी केस बढ़ गए हैं। ऐसे में सैंपलिग अधिक होनी चाहिए लेकिन कोरोना केस बढ़ने के बावजूद सैंपलिग घट गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 05:58 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 05:58 AM (IST)
सैंपलिग के लिए लोगों को करना पड़ रहा इंतजार
सैंपलिग के लिए लोगों को करना पड़ रहा इंतजार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मौसम में बदलाव की वजह से वायरल के मरीज बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना के भी केस बढ़ गए हैं। ऐसे में सैंपलिग अधिक होनी चाहिए, लेकिन कोरोना केस बढ़ने के बावजूद सैंपलिग घट गई है। अब रोजाना आंकड़ा 600 से 700 तक ही पहुंच रहा है। जबकि इस समय सैंपलिग हर रोज दो हजार के लगभग होनी चाहिए थी। इसमें लोगों की भी लापरवाही है। वह हल्के लक्षणों को नजरदांज कर रहे हैं। दूसरा स्वास्थ्य विभाग के पास कम ही संसाधन हैं। जिस वजह से सैंपलिग कराने में समय अधिक लग रहा है। सैंपलिग के लिए जिले में 10 ही केंद्र बने हुए हैं। यहां पर भी स्टाफ पर्याप्त नहीं है। एक ही कर्मचारी की सैंपलिग के लिए ड्यूटी लगी है।

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कोरोना का सैंपल कराने के लिए पहले मैनुअल रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर उसे ऑनलाइन चढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया में दो से तीन मिनट का समय लगता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सैंपलिग होती है। सिविल अस्पताल में बनाए गए सैंपलिग केंद्र में तीन कर्मियों का स्टाफ है। दो कर्मी मैनुअल व ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करते हैं। एक कर्मी सैंपल लेता है। इस कर्मी को ही ट्रॉमा सेंटर में दाखिल मरीजों के भी सैंपल लेने होते हैं। उनकी फाइलों की प्रक्रिया पूरी करने के बाद वह मरीजों के सैंपल लेने के लिए चला जाता है। ऐसे में सैंपल कराने के लिए आने वाले अन्य लोगों को इंतजार करना पड़ता है। सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे तक ही सैंपलिग होती है। इस दौरान रोजाना करीब 100 सैंपल लिए जाते हैं। ईएसआइ में भी करना पड़ता है इंतजार

ईएसआइ में भी सैंपलिग की व्यवस्था की गई है। यहां पर भी सैंपल के लिए आने वालों की लाइन लगती है। सैंपल कराने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। प्रोफेसर कालोनी निवासी मुकेश महाजन ने बताया कि वह सैंपल कराने के लिए आया था। यहां पर भीड़ थी, तो कर्मियों ने दोपहर को साढ़े 12 बजे आने के लिए कहा। जब साढ़े 12 बजे आया तो कहा गया कि आज के सैंपल पूरे हो गए हैं। अब अगले दिन आना पड़ेगा। इसी तरह से काफी लोग परेशान हो रहे हैं। एक तरफ स्वास्थ्य विभाग अपील कर रहा है कि अधिक से अधिक सैंपल हो, लेकिन इस तरह की व्यवस्था बिना पीपीई किट के लिए जा रहे सैंपल

गाइडलाइन के हिसाब से सैंपल लेने वाले कर्मियों को भी पीपीई किट, मास्क व गलब्स पहनना जरूरी है, लेकिन कर्मी केवल मास्क लगाकर रखते हैं। गत वर्ष जब कोरोना के सैंपल लिए जा रहे थे, तो सभी सैंपलिग में लगे कर्मी पीपीई किट पहनते थे, लेकिन इस बार कोई भी पीपीई किट व गलब्स का प्रयोग नहीं कर रहा है। हालांकि कर्मियों के लिए यह सभी संसाधन मौजूद है, लेकिन जानबूझकर इनका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। सिविल सर्जन डा. विजय दहिया ने बताया कि सैंपलिग के लिए प्रोसेस है। यह पूरा करना पड़ता है। हम भी लोगों से अपील कर रहे हैं कि वह लक्षण दिखने पर सैंपलिग कराएं। तभी कोरोना संक्रमण को रोका जा सकता है। अधिक से अधिक सैंपलिग हो। विभाग का यही प्रयास है।


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