सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सरस्वती नदी को भूले अधिकारी, कपालमोचन मेले में प्रदर्शनी तक नहीं
सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सरस्वती नदी को अधिकारी भूल गए हैं। कपालमोचन मेले में हर विभाग के कार्याें की प्रदर्शनी लगाई गई। आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला की भी प्रदर्शनी लगाई गई लेकिन इस बार सरस्वती नदी के बारे में मेले में प्रदर्शनी तक नहीं लगाई गई।
पोपीन पंवार, यमुनानगर : सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सरस्वती नदी को अधिकारी भूल गए हैं। कपालमोचन मेले में हर विभाग के कार्याें की प्रदर्शनी लगाई गई। आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला की भी प्रदर्शनी लगाई गई, लेकिन इस बार सरस्वती नदी के बारे में मेले में प्रदर्शनी तक नहीं लगाई गई। यदि मेले में प्रदर्शनी लगती, तो यहां आने वाले दूसरे राज्यों के श्रद्धालुओं को भी सरस्वती नदी के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती थी। इस मेले में प्रदेश के अलावा, उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली सहित अन्य राज्यों के श्रद्धालु आते हैं। सुबह शाम कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवर में आस्था की डूबकी लगाने के बाद मेले में घूमते हैं और जानकारियां एकत्र करते हैं। कपालमोचन से आदिबद्री भी जाते हैं श्रद्धालु
पांच दिवसीय चल रहे मेले में आए श्रद्धालु कपालमोचन से आदिबद्री धार्मिक स्थल में भी पूजा अर्चना के लिए जाते हैं। वहां पर केदारनाथ, बद्रीनाथ व माता मंत्रा देवी के मंदिर के अलावा सरस्वती नदी का उद्गम स्थल और सरोवर है। इस स्थल की भी काफी मान्यता है। मंदिर के महंत विनय स्वरूप महाराज का कहना है कि बेहतर होता कि श्रद्धालुओं को कपालमोचन में लगी प्रदर्शनी में सरस्वती नदी व अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी प्रदर्शनी के माध्यम से दी जाती। उनका यह भी कहना है कि जानकारी मंदिर के पूजा भी दे सकते थे, लेकिन श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने मेले के समय में पूजा को मंदिर से दूर रखा हुआ है। यहां पर सरकारी कर्मचारियों को पूजा करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दर्शन लाल जैन होते बहुत दुखी : ऐसा किया था संघर्ष
सरस्वती नदी के किनारे पर वेद लिखे गए। पुराणों में इसका का विस्तार से वर्णन है। जगाधरी की जैन कालोनी निवासी दर्शन लाल जैन ने सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 15 साल तक कड़ा संघर्ष किया है। उसके बाद सफलता की उम्मीद जगी। समाजसेवा में सरस्वती नदी के पुनर्जीवित के लिए उनको राष्ट्रपति ने पद्मविभूषण भी दिया। गत वर्ष उनका निधन हो गया। वर्ष 2014 में राज्य में भाजपा की सरकार आई। 21 अप्रैल दिन मंगलवार 2015 को एक ऐतिहासिक पल ऐसा आया कि सरस्वती नदी में धारा पर लाने के लिए गांव रोलाहेड़ी में पहली कस्सी चली थी। दर्शन लाल जैन भी मौके पर थे। मिले थे वाकंकर से
1989 में सरस्वती नदी पर शोध करने के लिए उज्जैन से डाक्टर पद्मश्री डब्ल्यूएस वाकंकर यमुनानगर आए थे। उनकी मुलाकात दर्शन लाल जैन से हुई। बाद में डाक्टर पद्मश्री की अचानक मौत हो गई। उसके बाद सरस्वती नदी की दर्शन लाल जैन ने खोज शुरू की। इस दौरान उनके चालक राम कुमार से उनको पता चला था कि वह मुस्तफाबाद में हर रोज सरस्वती नदी में स्नान करते हैं। वह चालक के साथ मुस्तफाबाद (नया नाम सरस्वती नगर) के पास सरस्वती नदी पर गए। नदी एक स्त्रोत के रूप में बहती मिली। नदी की दुर्बल दशा देखकर बड़े परेशान हुए। वहां से आदिब्रदी (उद्गम स्थल) तक सरस्वती नदी के किनारे गए। वहीं से सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने का सकंल्प लिया। इसके लिए 1999 में सरस्वती नदी शोध संस्थान का रजिस्ट्रेशन करवाया। राजस्व से रिकार्ड से पता चला कि जमीन पर कब्जा है। 43 गांवों के लोगों को सरस्वती की धार्मिक मान्यताओं के बारे में बताया था। वर्ष 2000 में राज्यपाल बाबू महावीर प्रसाद से आदिबद्री में उद्गम स्थल का शुभारंभ करवाया। ओएनजीसी के अधिकारियों से मिले। वहां से स्वीकृति मिली। खोदाई के दौरान जल भी निकल चुका है
पांच मई 2015 में खुदाई के दौरान सात फीट की गहराई पर सरस्वती का जल निकला। काफी श्रद्धालुओं ने आचमन किया। उसके बाद सीएम मनोहर लाल व केंद्रीय मंत्री वहां पर पहुंचे। सरस्वती हेरीटेज बोर्ड का गठन हुआ। हर साल सरस्वती महोत्सव भी किया जाता है। आदिबद्री में डैम बनाने की तैयारी है। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है, लेकिन अधिकारी सरकार की यह उपलब्धि श्रद्धालुओं को बताना भूल गए। सरोवर में पानी भर दिया गया : धूम्मन सिंह किरमिच
हरियाणा सरस्वती हेरीटेज बोर्ड के उपाध्यक्ष धूम्मन सिंह किरमिच का कहना है कि मेले के आयोजन की पूर्व में सूचना नहीं थी। जिस कारण प्रदर्शनी नहीं लग पाई। आदिबद्री सरस्वती सरोवर में पानी भर दिया गया है। सरस्वती को पुनर्जीवित करने के लिए जो भी योजनाएं है। उन पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।