अब जिले की मंडियों में नहीं आ सकेगा उप्र का धान
जिले की मंडियों में अब उप्र का धान नहीं बिक सकेगा। अब तक धड़ल्ले से हो रही बिक्री पर प्रशासन ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। पूर्व में भी हरियाणा की मंडियों में उप्र के धान की बिक्री पर प्रतिबंध रहा है। लेकिन इस बार मंडियों में दोनों राज्यों से आनी वाली फसल का ब्योरा रखने का निर्णय लेते हुए यह प्रतिबंध हटा दिया था।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : जिले की मंडियों में अब उप्र का धान नहीं बिक सकेगा। अब तक धड़ल्ले से हो रही बिक्री पर प्रशासन ने पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। पूर्व में भी हरियाणा की मंडियों में उप्र के धान की बिक्री पर प्रतिबंध रहा है। लेकिन इस बार मंडियों में दोनों राज्यों से आनी वाली फसल का ब्योरा रखने का निर्णय लेते हुए यह प्रतिबंध हटा दिया था। अब मंडियों में बिगड़ते हालातों को देखते हुए खरीद प्रतिबंधित करनी पड़ी। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक हरियाणा के किसानों की फसल को प्राथमिकता के आधार पर खरीदा जाए, इसलिए यह निर्णय लिया है। इसके लिए सीमा पर चार नाके लगाए जाएंगे। प्रदेश के अन्य जिलों की मंडियों में धान की आवक बंद हो गई है जबकि यमुनानगर में अभी जारी है। इसका मुख्य कारण उप्र के धान की आवक बताई जा रही है।
उप्र की सीमा से लगती छछरौली, खिजराबाद, रणजीतपुर, जगाधरी, जठलाना, रादौर व गुमथला की अनाज मंडी में उप्र की ओर से धान के आने की संभावना अधिक रहती है। इन मंडियों में फसल की आवक को रोकने के लिए हथनीकुंड बैराज, कलानौर, रणजीतपुर व गुमथला में ये नाके लगाए जाते रहे हैं। यमुनानगर ही नहीं बल्कि करनाल व पानीपत जैसे जिलों में भी उप्र के एरिया से फसल की आवक होती है। इसको रोकने के लिए हर वर्ष सीमा पर चैक पोस्ट लगाई जाती थी।
सीजन में आ सकती दिक्कत
जिले में 80 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल है अब तक करीब पौने पांच लाख एमटी धान की खरीद हो चुकी है। गत वर्ष की बात की जाए तो सीजन में छह लाख 35 हजार एमटी धान की खरीद हुई थी। पैदावार अव्वल होने के कारण इस बार आंकड़ा सात लाख एमटी छू सकता है। अभी जिले में कटाई जोरों पर चल रही है।
इनको राहत
हरियाणा के उन किसानों के लिए छूट है जिनकी जमीन यमुना नदी के उस पार उप्र के एरिया में है। धान लेकर आते समय इनको नाके पर राशन कार्ड, जमीन की फरद या अन्य कोई पहचान दिखानी पड़ेगी। यह दस्तावेज दिखाकर ही मंडी में धान लेकर आने की अनुमति मिल सकेगी। प्रशासन की इस निर्णय से आढ़तियों की परेशानी जरूर बढ़ सकती है। क्योंकि उप्र की सीमा के साथ लगती मंडियों में आढ़तियों का पुराना लेनदेन है। किसान नकद पैसा लौटाने के बजाय फसल लेकर आते हैं।
हरियाणा के किसानों की फसल को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने के लिए प्रशासनिक स्तर पर यह निर्णय लिया है। अनाज मंडियों में धान की आवक अधिक होने के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई थी। 4-5 दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी। हरियाणा का किसान नाके पर संबंधित दस्तावेज दिखाकर मंडी में अपनी फसल लेकर आ सकेगा।
सुरेंद्र सिंह धौलरा, डीएफएससी, यमुनानगर।