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डिच ड्रेन की गंदगी पर एनजीटी सख्त, अफसरों को योजना बनाने के आदेश

लंबे समय बाद डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी सख्त हो गया है। लगातार डिच ड्रेन में आ रहे गंदे पानी की शिकायतें एनजीटी तक पहुंच रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 06:40 AM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 06:40 AM (IST)
डिच ड्रेन की गंदगी पर एनजीटी सख्त, अफसरों को योजना बनाने के आदेश
डिच ड्रेन की गंदगी पर एनजीटी सख्त, अफसरों को योजना बनाने के आदेश

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लंबे समय बाद डिच ड्रेन में गिर रहे नालों को लेकर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी सख्त हो गया है। लगातार डिच ड्रेन में आ रहे गंदे पानी की शिकायतें एनजीटी तक पहुंच रही है। कई गांवों का पानी इसकी वजह से खराब हो रहा है। अब एनजीटी ने इसमें गंदा पानी छोड़े जाने से रोकने को लेकर अफसरों को योजना बनाने के आदेश दिए हैं। हालांकि पहले भी कई बार डिच ड्रेन में गंदा पानी रोकने के लिए अधिकारी कार्ययोजना बनाने का दावा कर चुके हैं। मंगलवार को एनजीटी चेयरमैन प्रीतम पाल ने इस संबंध में अधिकारियों से सवाल जवाब किए थे।

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दरअसल, डिच ड्रेन में नालों व औद्योगिक फैक्ट्रियों से निकल रहा पानी डाला जा रहा है। शहर के विश्वकर्मा चौक वाला नाला, हमीदा व पुराना गुरुद्वारा के पास से गुजर रहा नाले सीधे डिच ड्रेन में गिर रहे हैं। यह नाले नगर निगम के हैं और नालों में औद्योगिक इकाइयों का केमिकल युक्त पानी बहता है, जोकि डिच ड्रेन में बह रहे पानी के साथ मिलकर जल प्रदूषण का भी बड़ा कारण बन रहा है। हालात यह है कि जहां भी डिच ड्रेन जा रही है। वहां तक काला पानी बह रहा है। जहां से यह डिच ड्रेन गुजर रही है। वहां पर जल प्रदूषण फैल रहा है। लोगों की फसलें तक खराब हो रही हैं। जिसकी शिकायतें एनजीटी को भी लगातार पहुंच रही हैं।

नहर के किनारे दो बड़े एसटीपी :

नदियों के पानी को प्रदूषणमुक्त रखने के लिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं। जितना पानी सीवर लाइनों के माध्यम से प्लांट में ट्रीट होकर नहर में जा रहा है। उससे कही ज्यादा पानी नालों के रास्ते बिना ट्रीट हुए इन नदियों में भी गिर रहा है। यमुनानगर की बात की जाए दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगे हुए हैं। बड़ा प्लांट कैंप में है, जिसकी क्षमता 25 एमएलडी की है। दूसरा तीर्थनगर में है। इस प्लांट की क्षमता कुल 20 एमएलडी की है। इसके बावजूद नालों का पानी बिना ट्रीट हुए डिच ड्रेन व पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहा है। हालांकि कुछ नालों को निगम ने डाइवर्ट कर दिया है।

फैक्ट्री मालिकों पर नहीं कार्रवाई :

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस मामले में लापरवाह है। फैक्ट्रियों में वह अपनी इकाइयों से निकलने वाले पानी को ट्रीट करने के बाद ही छोड़ने के आदेश है। इसके बावजूद इन इकाइयों में प्लांट तक नहीं लगे। सबसे अधिक गंदा पानी भी इन फैक्ट्रियों से ही निकलता है।


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