निगम ने जबरन कांप्लेक्स में भेजी डेयरियां, अव्यवस्था पर लौटे
ट्विन सिटी की रिहायशी कॉलोनियों में चल रही डेयरियों को शिफ्ट करने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने एक बारगी 70 फीसद डेयरियों को डेयरी कांपलेक्स में शिफ्ट करा दिया था लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने का हवाला देकर व्यवसायी लौटने लगे हैं
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : ट्विन सिटी की रिहायशी कॉलोनियों में चल रही डेयरियों को शिफ्ट करने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने एक बारगी 70 फीसद डेयरियों को डेयरी कांपलेक्स में शिफ्ट करा दिया था, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने का हवाला देकर व्यवसायी लौटने लगे हैं। अधिकतर व्यवसायियों ने अपनी पुरानी डेयरियों में फिर काम शुरू कर दिया है। डेयरी कांप्लेक्स दड़वा में करीब 150 व्यवसायियों को भेजा गया था, लेकिन अब 90 के आसपास रह गए हैं। इसी प्रकार रायपुर, दड़वा और कैल कांप्लेक्स में भी व्यवसायियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। 2004 में बनी थी योजना
नगर निगम अधिकारी 14 वर्ष बाद भी कांप्लेक्स में सुविधाएं मुहैया नहीं करा पाए हैं। डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने के लिए वर्ष-2004 में दड़वा, कैल, रायपुर और औरंगाबाद में जमीन का अधिग्रहण किया था। दो वर्ष बाद व्यवसायियों को प्लाट अलॉट कर दिए थे। दड़वा में ये है हाल
दड़वा डेयरी कांप्ल्ेक्स में न पानी की निकासी है और न ही पेयजल व्यवस्था। पीने के पानी के लिए लगा ट्यूबवेल खराब है। पशुओं के उपचार के लिए अस्पताल बना है, लेकिन आज तक चिकित्सक नहीं मिला। चिकित्सीय सुविधाएं न होने के कारण पशु बीमारी से मर रहे हैं। अब तक दर्जन भर पशुओं की मौत हो चुकी है। पशु मुंह और खुर की बीमारी से ग्रस्त हैं। इसके साथ ही यहां पर डेयरी संचालक भी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। कैल में नहीं मिली सुविधाएं
डेयरी कांप्लेक्स कैल में भी मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण व्यवसायियों में रोष है। यहां बना हुआ पशु अस्पताल खंडहर में तबदील हो चुकी है। निकासी के लिए बनाई गई नालियां पर्याप्त नहीं हैं। पेयजल आपूर्ति के लिए लगाया गया ट्यूबवेल बंद पड़ा है। गत माह लाखों रुपये से नालों व सड़कों का निर्माण कराया था। इन कार्यों से व्यवसायी संतुष्ट नहीं है। रायपुर में भी हालात खराब
रायपुर डेयरी कांप्ल्ेक्स में बने पशु चिकित्सालय और ट्यूबवेल के चारों ओर गंदगी जमा है। पेयजल व्यवस्था न होने के कारण व्यवसायी टैंकर खरीदकर काम चला रहे हैं। गलियां कच्ची होने के कारण बारिश के दिनों में तो परेशानी और भी बढ़ जाती है। यहां न पीने के लिए पानी के लिए पानी है और न ही निकासी की व्यवस्था। चारों ओर गंदगी जमा है। जो डेयरी संचालक यहां शिफ्ट कर चुके हैं, वे अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसमें 116 प्लॉट काटे गए। शहर में फिर फैलेगी गंदगी
यमुनानगर-जगाधरी के विभिन्न वार्डों में सैकड़ों पशु डेयरियां चल रही हैं। अधिकांश डेयरी संचालक पशुओं के गोबर को नालियों में बहा देते हैं या फिर खाली प्लाटों में डाल देते हैं। इससे बीमारियां और दुर्गध लोगों पर हावी रहती है। सबसे ज्यादा गंदगी आजाद नगर, चिट्टा मंदिर रोड, महावीर कॉलोनी, छोटी लाइन, मॉडल टाउन में है। डेयरियां शिफ्ट होने के बाद कुछ दिन हालात ठीक रहे, लेकिन अब फिर गंदगी फैलनी शुरू हो जाएगी। फोटो : 15
कैल डेयरी कांप्लेक्स में आज तक निकासी की व्यवस्था ही नहीं हो पाई। पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। अन्य बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में व्यवसायी कैसे काम करेंगे? व्यवसायी डेयरी कांप्लेक्स में काम करना चाहते हैं, लेकिन उनको सुविधाएं तो मिलें। कांप्लेक्स में एक भी सुविधा व्यवसायियों के लिए नहीं है। सभी डेयरी संचालक चाहते हैं कि वह कांप्लेक्स में जाकर अपना व्यवसाय करें, क्योंकि शहर में उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पर्याप्त जगह नहीं है और गंदगी भी फैलती है।
सुरजीत सिंह , प्रधान, मिल्क डेयरी वर्कर्स यूनियन, कैल। फोटो : 16
किसी भी डेयरी कांप्लेक्स में व्यवसायियों को सुविधाएं नहीं दी गई। कुछ लोग ता कारोबार ही छोड़ गए। उनको बिना सुविधाएं दिए ही कांप्लेक्स में जबरदस्ती शिफ्ट किया था। अब वे वापस नहीं आएंगे तो क्या करेंगे? उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। जो लोग डेयरी कांप्लेक्स में काम कर रहे हैं, उनको भारी मशक्कत झेलनी पड़ रही हैं। बारिश रायपुर कांप्लेक्स के हालात ऐसे हैं कि बारिश के दिनों में तो डेयरी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
बेअंत सिंह भाटिया, प्रधान, डेयरी एसोसिएशन।