श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा मित्रता का प्रसंग सुनाया
भगवान परशुराम सामुदायिक केंद्र गोबिदपुरी में चल रही श्रीमद्भागवत
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
भगवान परशुराम सामुदायिक केंद्र गोबिदपुरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथाव्यास स्वामी इंद्रेश महाराज ने प्रवचन किया। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा मित्रता प्रसंग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों ने एक ही गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की। एक त्रिलोकी के नाथ और एक दरिद्र ब्राह्ण। भगवान श्रीकृष्ण ने अवंतिका, उज्जैन के संदीपनी आश्रम में गुरु संदीपन से शिक्षा ग्रहण की। 64 दिनों तक उन्होंने इस आश्रम में शिक्षा ग्रहण की और 64 प्रकार की शिक्षा में महारथ हासिल की।
कथाव्यास इंद्रेश महाराज ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश बनकर द्वारका में राज कर रहे थे तब सुदामा की पत्नी सुशीला ने उनसे कहा कि वे एक बार अपने मित्र द्वारकाधीश से मिलकर आएं। सुदामा जोकि दरिद्र तो थे लेकिन उन्होंने कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं पसारे और न ही वह भगवान से कुछ मांगना चाहते थे। वह तो अपने भगवान को पूर्ण रूप से समर्पित थे। पत्नी सुशीला के कहने पर वे द्वारिका जी गए। जहां उन्हें द्वारपालों ने बताया कि भगवान संतों व ब्राह्मणों को मिलने से नहीं रोकते और वे सीधे सीधे भगवान के कक्ष में जा सकते हैं। जैसे ही सुदामा भगवान के कक्ष में पहुंचे तो भगवान ने अपने सिंहासन से उठकर सुदामा को गले लगा लिया। भगवान अब सुदामा को अपने साथ लेकर आए और अपने सिंहासन पर बैठाते हुए उनके चरण धोए। भगवान का कहना था कि सुदामा उनके परम मित्र हैं। इस दौरान गौरव त्यागी, मनोज गर्ग, कृष्ण गर्ग, राकेश त्यागी, डा. लोकेश गर्ग, अमित जैन, महेंद्र सिंह राजपुरोहित, मनोज गर्ग, गौरव त्यागी, परिक्षित त्यागी, राकेश कुकला, अरुण कुमार, मनोज त्यागी, अजय त्यागी, पंडित श्याम लाल, नरेश कुमार, रणजीत सैनी, श्रवण त्यागी, भानू, संजीव, अक्षय वर्मा, अनुज, राजेंद्र कुमार, कुसुम, सुधा, मधु त्यागी, कविता, सरोज भी मौजूद रहे।