डेंजर जोन क्रास कर गया ध्वनि व वायु प्रदूषण का स्तर
दीपावली पर शहरवासियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई। शहर में पोल्युशन (ध्वनि व वायु) का स्तर डेंजर जोन को क्रास कर गया। बढ़े हुए ध्वनि व वायु प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कतें बच्चों, बुजुर्गो व मरीजों के अलावा जानवरों को उठानी पड़ी। दीवाली से पहले प्रशासन द्वारा लोगों को दी गई पटाखे फोड़ने की नसीहत दम तोड़ती नजर आई।
संवाद सहयोगी, जगाधरी :
दीपावली पर शहरवासियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई। शहर में पोल्युशन (ध्वनि व वायु) का स्तर डेंजर जोन को क्रास कर गया। बढ़े हुए ध्वनि व वायु प्रदूषण की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कतें बच्चों, बुजुर्गो व मरीजों के अलावा जानवरों को उठानी पड़ी। दीवाली से पहले प्रशासन द्वारा लोगों को दी गई पटाखे फोड़ने की नसीहत दम तोड़ती नजर आई।
शहरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर 60 माइक्रोग्राम पर मिट्रिक क्यूब निर्धारित किया गया है, जबकि ध्वनि का स्तर 40 डेसीबल तक है। दीवाली पर दोनों का स्तर डेंजर जोन को क्रास करता नजर आया। बोर्ड द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक दीवाली पर सुबह छह बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक वायु में सस्पेंडिड पॉटीक्यूलर मैटर (एसपीएम 10) की मात्रा 151 दर्ज की गई, जबकि पॉटीक्यूलर मैटर 2.5 (महिम कण) की मात्रा 90.5 दर्ज की गई। दोपहर दो बजे से लेकर रात 10 बजे तक दोनों का स्तर बढ़ा हुआ नजर आया। हवा में एसपीएम 10 की मात्रा 249.5 तथा पॉटीक्यूलर मैटर 2.5 की मात्रा 141.2 दर्ज की गई। रात 10 बजे लेकर सुबह छह बजे तक एसपीएम 10 की मात्रा 231.9 तथा पॉर्टीक्यूलर 2.5 की मात्रा 128.5 दर्ज की गई।
ध्वनि प्रदूषण का स्तर 40 डेसीबील निर्धारित, दीवाली पर हुआ 105 डेसीबल
पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 40 डेसीबल निर्धारित किया गया है। दीवाली पर ध्वनि का स्तर 105.9 डेसीबल तक पहुंच गया। बोर्ड ने ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए शहर में सेक्टर-17 में दो जगह तथा सिविल अस्पताल जगाधरी में ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए संयंत्र लगाए। सेक्टर -17 में दीवाली की रात 8 बजे लेकर 9 बजे तक सेक्टर 17 में ध्वनि का स्तर 103.4 तथा सिविल अस्पताल के पास 75.2 डेसीबल दर्ज किया गया। रात 9 से 10 बजे तक ध्वनि का स्तर सेक्टर 17 में बढ़कर 105.9 डेसीबल तक पहुंच गया जबकि सिविल अस्पताल में 70.9 डेसीबल दर्ज किया गया।
जमकर फोडे़ पटाखे
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने का समय रात को 10 बजे तक निर्धारित किया गया। इसके बाद भी शहर में जमकर पटाखे फोडे़ गए। पोल्युशन बोर्ड द्वारा की गई जांच के मुताबिक रात को 10 से 11 बजे तक सेक्टर 17 में ध्वनि का स्तर 96.1 तथा सिविल अस्पताल के पास 69.2 डीबी दर्ज किया गया। रात को 11 से 12 बजे तक सेक्टर 17 में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 92.4 डीबी तथा सिविल अस्पताल के पास 65.4 डेसीबल दर्ज किया गया।
यह निकलती हैं जहरीली गैसें
पर्यावरणविद् डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि दीपावली की रात पटाखे बजने से वायु प्रदूषण करीब पांच गुणा बढ़ जाता है। पटाखों में सल्फर होता है। इसलिए पटाखों के कारण वायु में कार्बन मोनोडाइआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, पोटाशियम आक्साइड जैसी हानिकारक गैसों की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इनसे सांस लेने में दिक्कत आती है और एलर्जी की संभावना भी बढ़ जाती है। पटाखे बजाने से 60 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है। सामान्य दिनों में हम 30 डेसिबल के बीच रहते है। इसका असर एकदम नहीं दिखाई देता है। एक सप्ताह तक कई लोगों को बहरापन की शिकायत होगी तो कई लोग अंदरुनी बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे। इसके साथ ही सांस के रोगियों में बढ़ोतरी हो जाएगी
स्वास्थ्य पर असर पड़ता है : डॉ. दहिया
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विजय दहिया के मुताबिक पटाखे जलाने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों व दमा रोगियों को होती है। हवा में हानिकारक गैसों की मात्रा बढ़ने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत रहती है। लोगों को पटाखों से दूर रहना चाहिए। पटाखों का कम से कम प्रयोग किया जाना चाहिए, ताकि एलर्जी, सांस के रोगियों में इजाफा नहीं हो। इस त्योहार का असर वायु मंडल में कई दिन तक रहता है, क्योंकि यमुनानगर औद्योगिक नगरी है। फैक्टरियों से काले धुएं निकलते हैं। इस कारण शहर पहले की प्रदूषित है। रही सही कसर पटाखे पूरी कर देते हैं।
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पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के एसडीओ विपिन कुमार के मुताबिक दीवाली पर शहरी क्षेत्र में वायु व ध्वनि प्रदूषण का स्तर डेंजर जोन क्रास कर गया। शहरी क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण का स्तर 105.9 डेसीबल तक पहुंच गया, जबकि वायु प्रदूषण का स्तर 294.5 एसपीएम दर्ज किया गया। दोनों ही लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।