इन नेता जी के चेहरे से तो हंसी ही गायब हो गई
जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे ही नेताओं के चेहरे पर हंसी कम देखने को मिल रही है। एक के बाद एक जनसभाएं हो रहीं हैं।
जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे ही नेताओं के चेहरे पर हंसी कम देखने को मिल रही है। एक के बाद एक जनसभाएं हो रहीं हैं। लोगों को अपने नेताओं के विचार सुनने का मौका भी खूब मिल रहा है। एसी ही सभा में जनता के प्रिय नेता जी पहुंचे। आयोजकों ने उनकी शान में कसीदे पढ़े। इसके बाद भी उनके चेहरे पर हंसी तक नहीं आई। इस पर आयोजक बोले क्या बात है। नेता जी आप तो ऐसे नहीं थे। गंभीर मुद्रा में आपको कभी नहीं देखा। इस पर नेता जी बोले कि भाई चुनाव भी पेपर की तरह होता है। पेपर देने और रिजल्ट का दिन टेंशन भरा होता है। बस अभी से इसी चिता में डूबा हूं।
भाई वोट तो हम तुम्हारे लिए मांग रहे हैं
प्रचार के दौरान पार्टी के पक्ष में वोट मांग रहे लोगों में आमना सामना हो गया। पहले बोलने को लेकर मतभेद हो गए। दोनों के बीच में हो रही वार्तालाप यहां बैठे लोग भी सुन रहे हैं। एक समझदार व्यक्ति बीच में बोला कहा कि भाई हम लोग भी तो वोट आपके लिए ही मांग रहे हैं। फिर आपस में मतभेद होने का सवाल नहीं होना चाहिए। तब जाकर कहीं बात संभली। लोगों के बीच ये बातचीत चर्चा का विषय बनी रही।
इस बार तो कोई पूछ ही नहीं रहा
पार्टी प्रचार में लगे कई कार्यकर्ताओं का दर्द सामने आ रहा है। इनका कहना है कि चुनाव तो पहले भी होते रहे हैं। ऐसा चुनाव पहले नहीं देखा। इस बार तो उनकी पूछ तक नहीं हो रही है, जबकि वे दिन रात एक किए हैं। अब देखना बस यह है कि कुर्सी पर बैठने के बाद उनको कितना याद रख जाता है। ये कार्यकर्ता आपस में बात कर रहे थे कि हम व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि पार्टी के लिए मेहनत कर रहे हैं। कभी तो अपना वक्त भी आएगा।
प्रस्तुति : पोपीन पंवार, यमुनानगर।