रादौर में हुए शराब घोटाले की अब कुरुक्षेत्र पुलिस करेगी जांच
अभी तक मामले की तह तक पुलिस नहीं पहुंच पाई। अब मामले की तह तक जाने के लिए इसकी जांच दूसरे जिले की पुलिस करेगी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर: रादौर में पकड़ी गई शराब के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी व चौकी प्रभारी सहित चार कर्मचारियों के सस्पेंड हो गए। अभी तक मामले की तह तक पुलिस नहीं पहुंच पाई। अब मामले की तह तक जाने के लिए इसकी जांच दूसरे जिले की पुलिस करेगी। एडीजीपी के आफिस से कुरूक्षेत्र पुलिस को जांच के आदेश हुए है। यदि जांच सही हुई तो इसकी आंच कई पर गिर सकती है।
अप्रैल माह में लॉकडाउन चल रहा था। तभी 30 अप्रैल को गांव भोगपुर में अवैध शराब की सूचना पर पुलिस ने शराब से भरी ट्रॉली अवतार के खेत से पकड़ी थी। पुलिसकर्मी जसबीर सिंह के बयान पर वीरेंद्र और राकेश पर केस दर्ज हुआ। 300 पेटियां शराब पकड़ने के बाद 95 पेटियां कम हो गई। बिना मार्का शराब व पुलिस के कब्जे में आने के बाद शराब कम होने का मामला तत्कालीन एसपी के संज्ञान तक पहुंचा। एक मामले की दो जांच कराई गई
बिना मार्का के शराब मिलने और पुलिस के कब्जे में आने के बाद शराब की पेटियां गायब होने की अलग अलग जांच शुरू की गई। शराब कम होने की जांच तत्कालीन जगाधरी डीएसपी तनेजा ने की। कई लोग व पुलिस कर्मचारियों के बयान हुए। जिसके बाद 17 मई को रादौर थाना प्रभारी संदीप कुमार, खेड़ा लक्खा सिंह चौकी इंचार्ज जसबीर सिंह, जिप्सी ड्राइवर सुभाष और सुखविद्र को सस्पेंड कर दिया गया। तब बिना मार्का शराब की जांच सीआइए वन को सौंपी गई। यह शराब असली या नकली थी इसकी पड़ताल शुरू ही हुई थी कि यह मामला एडीजीपी अंबाला के पास चला गया। सही जांच हुई तो अब खुल सकती हैं दबी हुई ये परतें
चार पुलिस कर्मचारी सस्पेंड हो गए, लेकिन गायब शराब कहां गई। इसका अभी तक पता नहीं चला। न ही बिना मार्का की इस शराब की रिकवरी की गई। शराब कैसे गायब हुई। इसका अभी तक सुराग नहीं लगा। गायब शराब की कीमत भी दो लाख से ज्यादा आंकी जा रही है। लॉकडाउन के दौरान जब सड़क पर चोरों तरफ पुलिस का पहरा था। उसके बावजूद यह शराब रादौर तक कैसे और किसकी मदद से पहुंची। शराब की बोतलों से मार्का क्यों हटाया गया था। इसके पीछे का उद्देश्य था। सही जांच में ये सब खुलासा हो सकता है। हालांकि शराब को पकड़ने वाली पुलिस कर्मचारी यहीं कहते रहे जितनी शराब पकड़ी है। उतनी ही रिकॉर्ड में है।