आयुष्मान के तहत निजी अस्पतालों में इलाज कराने में सरकारी रोड़ा
आयुष्मान योजना के तहत पात्रों को निजी अस्पताल में इलाज मिलना मुश्किल है। इसमें सरकारी शर्तों का रोडा अड़ा हुआ है। जिसको लेकर पात्रों में भी कंफ्यूजन है। कुछ लोग कार्ड लेकर प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं, तो उन्हें पैकेज न होने की बात कह लौटा दिया जाता है। दरअसल, सरकार ने 274 पैकेज का इलाज सरकारी अस्पताल से ही पात्रों को करना होगा
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : आयुष्मान योजना के तहत पात्रों को निजी अस्पताल में इलाज मिलना मुश्किल है। इसमें सरकारी शर्तों का रोडा अड़ा हुआ है। जिसको लेकर पात्रों में भी कंफ्यूजन है। कुछ लोग कार्ड लेकर प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं, तो उन्हें पैकेज न होने की बात कह लौटा दिया जाता है। दरअसल, सरकार ने 274 पैकेज का इलाज सरकारी अस्पताल से ही पात्रों को करना होगा। आयुष्मान योजना में कुल 1350 पैकेज रखे गए हैं। इन पैकेज में आमतौर पर होने वाली बीमारियां शामिल की गई है।
हाल ही में कई मामले ऐसे सामने आए हैं। जगाधरी वर्कशॉप के सोनू ने अपने पिता की सर्जरी निजी अस्पताल से करवाई। उसने सोचा था कि कार्ड बना हुआ है, लेकिन उसे लंबा चौड़ा बिल थमा दिया गया है। अस्पताल से बताया गया कि जिस बीमारी का उन्होंने इलाज करवाया। वह पैकेज में नहीं है। इसका इलाज सरकारी में ही कराना होगा। अधिकारियों के भी चक्कर काटे, लेकिन नियमों का हवाला दे दिया गया। बता दें कि 23 सितंबर को शुरू हुई योजना 15 अगस्त को प्रोजेक्ट के तौर पर आयुष्मान योजना शुरू की गई थी। बाद में 23 सितंबर को आधिकारिक रूप से योजना का संचालन कर दिया गया। जिले में अब तक 36 हजार गोल्डन कार्ड बन चुके हैं।
अलग-अलग पैकेज है अस्पतालों के लिए
आयुष्मान में अस्पतालों के लिए अलग-अलग पैकेज हैं। कुल 1350 पैकेज इलाज के तहत हैं, लेकिन इनमें से 274 गवर्नमेंट रिजर्व हैं। इसका मतलब यह है कि गर्वनमेंट रिजर्व पैकेज के लिए मरीज को सरकारी अस्पताल में एडमिट होना होगा। यहां से यदि सरकारी अस्पताल निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए रेफर करें, तभी मरीज को लाभ मिलेगा। यदि मरीज सीधा आयुष्मान के पैनल पर आए निजी नर्सिंग होम में जाता है, तो उसे पैकेज का पता करना होगा। यदि वह तुरंत एडमिट हो जाता है, तो उसे इलाज के दौरान पैसा चुकाना पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर यदि कोई आंखों की बीमारी से संबंधित पात्र मरीज प्राइवेट अस्पताल में जाता है, तो उसे वहां संबंधित बीमारी के पैनल का पता करना पड़ेगा। इसी तरह से सर्जरी, हड्डी टूटने, बुखार आदि के लिए सरकारी अस्पताल में ही आना पड़ेगा।
यह किया गया था दावा
जिस समय योजना शुरू की गई थी। उस समय दावा किया गया था कि मरीजों को पांच लाख तक का निश्शुल्क इलाज मिलेगा। जिससे लोगों में भी पात्रता सूची में नाम होने को लेकर होड़ मच गई। अब भी पात्र लोगों की लाइन आयुष्मान की हेल्प डेस्क पर लग रही है। यहां तक कि कुछ लोगों ने अपना नाम पात्रता सूची में न होने पर भी एतराज जताया। सीएम ¨वडो पर भी शिकायतें हुई और नाम शामिल करवाने की मांग की गई।
ये निजी अस्पताल पैनल पर
आयुष्मान भारत योजना में सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में गोयल हॉस्पिटल, गर्ग ईएनटी हॉस्पिटल, कपिल हॉस्पिटल, स्वामी विवेकानंद मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल, महेंद्रा हॉस्पिटल, गाबा अस्पताल, आइक्यू विजन अस्पताल, अग्रवाल अस्पताल, गोयल आई केयर सेंटर, विशाल अस्पताल व गुलाटी अस्पताल पैनल पर हैं। योजना का लाभ लेने के लिए पात्र मरीज एडमिट होता है, तो ही उसे लाभ मिलेगा। आयुष्मान की गाइडलाइन में यह भी है कि मरीज को छुट्टी के समय 300 रुपये या फिर एंबुलेंस की सुविधा देनी होगी और कुछ जेनेरिक दवाएं भी देनी होंगी।
कोट्स :
आयुष्मान के तहत यदि कोई मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाता है, तो वहां पर कार्ड दिखाकर संबंधित बीमारी के इलाज के बारे में पता कर लें। निजी अस्पतालों को भी इस बारे में कहा गया है कि वह इलाज कराने आए मरीज को पूरी जानकारी दें। मरीज भी एडमिट होने से पहले इलाज के बारे में पता कर लें, ताकि बाद में उन्हें कोई दिक्कत न आए।
-डॉ. विजय दहिया, नोडल अधिकारी, आयुष्मान योजना।