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लाकडाउन में लड़खड़ाए काराबोर को सहारे की दरकार, दो वर्ष में 506 को दिया लोन

गत वर्ष लाकडाउन में लड़खड़ाए कारोबार को सहारा नहीं मिल पा रहा है। सबसे अधिक मार झेल चुके रेहड़ी-फड़ी वालों को वित्तीय सहायता देने की योजना तो बनी लेकिन करीब दो वर्ष में चंद लोगों तक ही पहुंच पाई है। जून-2020 में शुरू हुई प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्म निर्भर निधि योजना के तहत अब तक 506 लोगों को ही वित्तीय सहायता के रूप में लोन दिया गया है। बाकी कतार में हैं। बता दें कि लाकडाउन में कामकाज गंवा चुके इन लोगों को काम शुरू करने के लिए सरकार ने 10 से 50 हजार रुपये तक वित्तीय सहायता करने की योजना शुरू की थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 05:53 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:53 PM (IST)
लाकडाउन में लड़खड़ाए काराबोर को सहारे की दरकार, दो वर्ष में 506 को दिया लोन
लाकडाउन में लड़खड़ाए काराबोर को सहारे की दरकार, दो वर्ष में 506 को दिया लोन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गत वर्ष लाकडाउन में लड़खड़ाए कारोबार को सहारा नहीं मिल पा रहा है। सबसे अधिक मार झेल चुके रेहड़ी-फड़ी वालों को वित्तीय सहायता देने की योजना तो बनी, लेकिन करीब दो वर्ष में चंद लोगों तक ही पहुंच पाई है। जून-2020 में शुरू हुई प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्म निर्भर निधि योजना के तहत अब तक 506 लोगों को ही वित्तीय सहायता के रूप में लोन दिया गया है। बाकी कतार में हैं। बता दें कि लाकडाउन में कामकाज गंवा चुके इन लोगों को काम शुरू करने के लिए सरकार ने 10 से 50 हजार रुपये तक वित्तीय सहायता करने की योजना शुरू की थी। कहां कितने मिले पात्र

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दरअसल, प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्म निर्भर निधि योजना नगर निगम व नपा एरिया में काम करने वाले रेहड़ी-फड़ी वालों के लिए है। नगर निगम एरिया में अधिकारियों को 1019, नपा रादौर में 189 व नपा साढौरा में 145 रेहड़ी-फड़ी वाले मिले हैं। जानकार लोग जनसंख्या के लिहाज से यह संख्या काफी कम बता रहे हैं। क्योंकि अकेले नगर निगम एरिया की आबादी करीब पांच लाख है। यहां रेहड़ी फड़ी वालों की संख्या इससे कई गुणा अधिक बताई जा रही है। इसके अलावा रादौर व साढौरा में भी रेहड़ी-फड़ी वालों की संख्या हजारों में है।

योजना का यह उद्देश्य कोरोना वायरस महामारी की मार उन लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ी है जो सड़क के किनारे रेहड़ी-फड़ी लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। लाकडाउन के दौरान बाजार बंद रहने होने से इनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया। काम धंधा शुरू करने के लिए ऐसे लोगों को योजना के तहत 10-50 हजार रुपए तक का लोन स्ट्रीट वेंडर के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इस लोन को 12 माह में स्ट्रीट वेंडर को चुकाना होगा। लोन पर नौ प्रतिशत ब्याज अनुदान के रूप में केंद्र सरकार की ओर से दिया जाएगा।

अधिक औपचारिकता की आवश्यकता नहीं विभागीय अधिकारियों का कहना है कि योजना के तहत लोन देने की प्रक्रिया सरल है। इसमें अधिक औपचारिकताओं को पूरा करने की जरूरत नहीं है। आवेदक को 20 मार्च 2020 तक काम किए जाने का सबूत देना होगा। जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन है, उनको दिक्कत नहीं आएगी। निगम अधिकारियों के मुताबिक निगम स्तर पर प्रक्रिया पूरी करने में समय नहीं लगने दिया जाता। बैंक की ओर से लोन दिए जाने में देरी की जाती है।

जागरूकता का भी अभाव वर्कशाप रोड पर सब्जी की रेहड़ी लगाने वाले जुलफान, रेलवे स्टेशन रोड पर फ्रूट की रेहड़ी लगाने वाले रमेश व सुरेंद्र का कहना है कि उनको तो योजना के बारे में जानकारी ही नहीं है। हालांकि गत वर्ष लाकडाउन में उनको काफी नुकसान हुआ है। कामकाज पूरी तरह चौपट हो गया है। ब्याज पर रकम लेकर दोबारा काम शुरू किया। अब तक ब्याज अदा कर रहे हैं। उनके काफी साथ ऐसे भी हैं जिनका कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया था। वह अपने प्रदेश लौट गए हैं। वर्जन-

रेहड़ी फड़ी वालों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्म निर्भर निधि योजना शुरू की है। निगम व नपा स्तर पर रेहड़ी-फड़ी वालों को चिन्हित किया गया है। उनको लाभ दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। हमारा प्रयास है कि अधिक से योग्य पात्रों को योजना का लाभ मिले। मदन चौहान, मेयर।


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