ट्विन सिटी से हटेंगे अवैध टावर, नगर निगम करेगा सर्वे
पैसा कमाने के चक्कर में शहरवासियों द्वारा जगह-जगह धड़ल्ले से टावर लगवाए जा रहे हैं। अब तक नगर निगम की ओर से सर्वे नहीं करवाया गया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : ट्विनसिटी में नियमों को ताक पर रखकर लगवाए गए अवैध टावर हटने तय हैं। नगर निगम की ओर से सर्वे किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने टावर निगम के रिकार्ड में दर्ज हैं और कितने अवैध रूप से लग रहे हैं। ये टावर विभिन्न मोबाइल कंपनियों की ओर से लगाए गए हैं। पैसा कमाने के चक्कर में शहरवासियों द्वारा जगह-जगह धड़ल्ले से टावर लगवाए जा रहे हैं। अब तक नगर निगम की ओर से सर्वे नहीं करवाया गया। पहली बार अधिकारियों ने यह निर्णय लिया है।
चप्पे-चप्पे पर लगे हैं टावर
मोबाइल टावर इन दिनों घर बैठे आमदन का अच्छा जरिया बने हुए हैं। शुरुआत दौर में संख्या कम थी, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। हालांकि मोबाइल टावर लगवाने से पहले नगर निगम से इसकी अनुमति लेनी होती है। बकायदा निर्धारित फीस है। यह फीस अदा करने के बाद ही मोबाइल टावर लगवाया जा सकता है, लेकिन नगर निगम एरिया में बिना अनुमति लिए भी टावर लगवा दिए गए हैं। ऐसे टॉवरों को चिन्हित करने के लिए ही अब सर्वे करवाने का निर्णय लिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह नुकसान
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अजय गुप्ता के मुताबिक रिहायशी एरिया में लगे टावर स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं। मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों के लिए भी घातक हैं। मोबाइल से ज्यादा परेशानी उसके टावरों से है क्योंकि टावर लगातार चौबीसों घंटे रेडिएशन फैलाते हैं। यदि हम मोबाइल पर एक घंटा बात करते हैं तो उससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए हमारे पास पर्याप्त समय रहता है लेकिन टावर के पास रहने वाले लोग टावर से निकलने वाली तरंगों की जद में रहते हैं।
उन्होंने बताया कि यदि घर के सामने टावर लगा है तो उसमें रहने वाले लोगों को 2-3 साल के अंदर सेहत से जुड़ी समस्याएं शुरू हो सकती हैं। मोबाइल टावर के 100 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटीना लगे होंगे रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा। वहां आबादी प्रभावित होती है।
रेडिएशन का सबसे अधिक प्रतिकूल असर हमारे मस्तिष्क व हार्ट पर पड़ता है। याददाश्त में कमी, बहरापन और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए तो यह ज्यादा ही खतरनाक है।
चिड़िया पर किया जा चुका परीक्षण
डॉ. अजय गुप्ता बताते हैं कि मोबाइल टावरों से निकली रेडिएशन से प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। चिड़िया के अंडों पर यह परीक्षण हो चुका है। चिड़िया के अंडों को मोबाइल टावर के पास रखा गया। निश्चित समय में इन अंडों में बच्चा नहीं बना। इनसे पक्षियों की दिनचर्या भी प्रभावित होती है। उसके मुताबिक हवा में उड़ रहे पक्षी तरंगों की वजह से दिमागी रूप से अनियंत्रित हो रहे है।
ऐसा करें तो बेहतर
- मोबाइल टावर को आबादी से दूर लगवाएं।
- रिहायशी एरिया में घरों के ऊपर न लगाएं।
- कम से कम 100 मीटर दूरी पर लगाएं या फिर अधिक ऊंचाई पर लगाएं। इससे असर कम होता है।
- आसपास के रिहायशी एरिया में समय-समय पर स्वास्थ्य जांच जरूर करवाएं।
नगर निगम एरिया में मोबाइल टावर लगवाने से पहले नगर निगम से अनुमति जरूरी है। इसके लिए फीस निर्धारित है। शहर में कितने टावर अनुमति व कितने टावर बिना अनुमति के लगे हैं, इसको जांचने के लिए अब नगर निगम की ओर से विशेष सर्वे करवाया जाएगा। बिना अनुमति के कोई भी टावर नहीं लगने दिया जाएगा।
- अजय गौतम, एसडीओ, नगर निगम