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संपत्ति पर अधिकारी हों गंभीर तो बढ़े नगर निगम की आमदन

नगर निगम के बजट पर सरकार की कैंची के बाद अधिकारियों के लिए आमदनी के विकल्पों को प्रभावी बनाना मजबूरी बन गई है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम के पास संसाधन नहीं हैं। संसाधन होने के बावजूद उम्मीद के मुताबिक आमदनी नहीं हो पा रही है। कारण कुछ और नहीं बल्कि अधिकारियों की सुस्ती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:30 AM (IST)
संपत्ति पर अधिकारी हों गंभीर तो बढ़े नगर निगम की आमदन
संपत्ति पर अधिकारी हों गंभीर तो बढ़े नगर निगम की आमदन

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम के बजट पर सरकार की कैंची के बाद अधिकारियों के लिए आमदनी के विकल्पों को प्रभावी बनाना मजबूरी बन गई है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम के पास संसाधन नहीं हैं। संसाधन होने के बावजूद उम्मीद के मुताबिक आमदनी नहीं हो पा रही है। कारण कुछ और नहीं बल्कि अधिकारियों की सुस्ती है। ट्विन सिटी में ऐसे शॉपिग कांप्लेक्स और दुकानों की संख्या कम नहीं है, जो खाली पड़ी हैं। लंबे समय से ये किराये पर नहीं चढ़े हैं। ऐसे में प्रतिवर्ष लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा नगर निगम की संपत्ति से जुड़े कई मामले नियमों के फेर में फंसे हुए हैं। इनको यदि गंभीरता से लिया जाए तो नगर निगम की आमदन बढ़ सकती हैं।

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यह ऑडिट रिपोर्ट की सच्चाई

नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर सिर्फ जमीन ही नहीं, बल्कि दुकानें, शोरूम खाली रहने से भी नगर निगम को 39 लाख 61 हजार छह सौ रुपये का नुकसान हुआ है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार सच्चा सौदा मार्केट की एक दुकान पांच साल तक, वर्कशॉप रोड पर पांच दुकानें 49 माह, कन्हैया साहिब चौक के निकट शॉपिग कांप्लेक्स की दो दुकानें 48 माह, इंडस्ट्रियल एरिया में मीट मार्केट की छह दुकानें 16 साल से, जगाधरी जोन में बूड़िया गुरुद्वारा के निकट 10 दुकानें 80 महीने, इंप्रूवमेंट की दो दुकानें 32 महीना तक किराये पर नहीं चढ़ने से 39 लाख 61 हजार रुपये का नुकसान नगर निगम के खजाने में हुआ है।

कमेटी का निर्णय भी स्पष्ट नहीं

नगर निगम की करोड़ों रुपये की जमीन से जुड़े जिन प्रस्तावों पर हाउस की पिछली बैठक में सहमति नहीं बन पाई थी, उन पर अब निर्णय पांच सदस्यीय कमेटी ने अपना निर्णय देना था। कमेटी में कार्यकारी अधिकारी, कार्यकारी अभियंता, शहरी परियोजना अधिकारी और दो पार्षद शामिल हैं। 20 जून को हुई हाउस की बैठक की कार्रवाई रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया था। अभी तक इन प्रस्तावों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। यमुनानगर और जगाधरी शहर में नगर निगम की करोड़ों रुपये की संपत्ति है।

यहां 13 शोरूम खाली

कन्हैया साहिब चौक के पास मार्केट में नगर निगम के 13 शोरूम खाली पड़े हैं। रिजर्व प्राइज अधिक होने के कारण किराये पर नहीं चढ़ रहे हैं। हर माह लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इनका वर्तमान रिर्जव प्राइज 9090 रुपये है। हाउस की बैठक में यह प्रस्ताव आया कि इनका रिर्जव प्राइज कम किया जाए, ताकि ये किराये पर चढ़ सकें। इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और बाद में कमेटी गठित करने की बात कही।

भूमि पट्टे पर न जाने से राजस्व की हानि

नगर निगम के पास कृषि योग्य जमीन है। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक जमीन को पट्टे पर देने के लिए कई बार बोली की गई, लेकिन बोली की निर्धारित राशि अधिक होने के कारण किसी भी व्यक्ति ने बोली नहीं दी। सदन में प्रस्ताव यह आया कि इस जमीन को पट्टे पर देने के लिए निर्धारित दर कम की जाए। नगर निगम की आमदन के काफी साधन है। हमने सभी का रिव्यू करना शुरू कर दिया है। सभी शॉपिग मॉल और दुकानों को किराये की रिपोर्ट ली जा रही है।

मदन चौहान, मेयर, नगर निगम।


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