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भोजन पर भारी नियम : नियमों के फेर में उलझा नन्हें बच्चों के हिस्से का भोजन

पहली से आठवीं के बच्चों को मिड डे मील के रूप में मिलने वाले भोजन पर विभाग के बदलते नियम भारी पड़ रहे हैं। बजट जारी होने के बाद भी जिले के 75 हजार नन्हें बच्चों भोजन नहीं मिल पा रहा। कह सकते हैं कि बच्चों के हिस्से का भोजन नियमों के फेर में उलझा पड़ा है। विभाग के नए नियम के अनुसार मिड डे मील के लिए मिलने वाली राशि अब स्कूलों के खातों में नहीं आएगी। शिक्षा विभाग ने अब मिड डे मील में खर्च होने वाली रकम सीधे उन दुकानदारों के खाते में डालेगा जिनसे सामान खरीदा जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 01:37 AM (IST)
भोजन पर भारी नियम : नियमों के फेर में उलझा नन्हें बच्चों के हिस्से का भोजन
भोजन पर भारी नियम : नियमों के फेर में उलझा नन्हें बच्चों के हिस्से का भोजन

नरेंद्र शर्मा, यमुनानगर : पहली से आठवीं के बच्चों को मिड डे मील के रूप में मिलने वाले भोजन पर विभाग के बदलते नियम भारी पड़ रहे हैं। बजट जारी होने के बाद भी जिले के 75 हजार नन्हें बच्चों भोजन नहीं मिल पा रहा। कह सकते हैं कि बच्चों के हिस्से का भोजन नियमों के फेर में उलझा पड़ा है। विभाग के नए नियम के अनुसार मिड डे मील के लिए मिलने वाली राशि अब स्कूलों के खातों में नहीं आएगी। शिक्षा विभाग ने अब मिड डे मील में खर्च होने वाली रकम सीधे उन दुकानदारों के खाते में डालेगा जिनसे सामान खरीदा जाएगा। विभाग की ओर से स्कूलों से उन दुकानदारों की डिटेल मांगी जा रही है। जिनसे स्कूल मिड डे मील की खाद्य सामग्री खरीदेगा। बदलते नियमों के बीच नए सत्र को डेढ़ माह बीतने के बाद भी बच्चों को दोपहर को भोजन नहीं मिल रहा। बिना भोजन के नन्हें बच्चों की थाली खाली है। कुछ दिनों बाद ग्रीष्म काल के अवकाश होंगे। बच्चों को नियमों के फेर में स्कूलों से मिलने वाले भोजन से महरूम रहने को मजबूर होना होगा। गौरतलब हो कि जिले में मिड डे मील के लिए दो करोड़ दस लाख का बजट तो जारी हो चुका है लेकिन बदलते नियमों के चलते फिलहाल भोजन नहीं बन पा रहा। ये है बच्चों को मिलने वाले भोजन का मेन्यू कार्ड :

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गेहूं आधारित चावल व बाजरा आधारित

मीठे खीर पूड़े सब्जी वाले पुलाव

मिस्सी रोटी और सब्जी पौष्टिक खिचड़ी

हलवा और काले चने राजमा चावल

रोटी और घीया दाल या कद्दू कढ़ी चावल

मीठा दलिया मीठे चावल

पौष्टिक दलिया नारियल वाले पुलाव

आलू-पूरी बाजरे के गुलगुले

रोटी और चने बाजरे की खिचड़ी

मूंग या साबुत मूंग दाल बिस्कुट

चना दाल का या सब्जी का परांठा अखरोट पहले स्कूल के खातों में आते थे पैसे :

इस सत्र से पहले मिड डे मिल के पैसे स्कूलों में खोले गए खातों में आते थे। यहीं से टीचर्स इसका इस्तेमाल सब्जियां, दाल, दूध आदि खरीदने में करते थे। अब यह व्यवस्था पूरी तरह से खत्म कर दी गई है। नए सत्र में शिक्षा विभाग ने मिड डे मील के सभी खातों को शून्य कर इनको बंद कर दिया। अब विभाग स्कूलों से डिटेल मांग रहा है। जिसके आधार पर दुकानदार का विवरण भरकर विभाग को देना है। इसके तहत बिल का विवरण, बिल नंबर, बिल डेट, फर्म का नाम, खाता नंबर, आइएफएससी कोड, बिल की राशि सहित स्कूल का विवरण भी मांगा है। नियमों में उलझा रहा विभाग, सरकार ही करे दुकानदारों का चयन : कलेर

विभाग के इस फैसले पर राजकीय अध्यापक संघ ने एतराज जताया है। संघ के जिला प्रधान महिद्र सिंह कलेर का कहना है कि विभाग हर रोज नए ऐसे आदेश जारी कर रहा है जिससे बच्चों के साथ कर्मचारियों को भी परेशानी होती है। मिड डे मील का पैसा सीधे दुकानदारों के खाते में जाने से कई परेशानियां होंगी। एक ही दुकान से मिड डे मील के लिए सामग्री मिलना मुश्किल है। वहीं, गैस सिलेंडर के लिए भी दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि विभाग ने सारी जिम्मेदारी शिक्षकों व स्कूलों पर डाल दी है। शिक्षा विभाग अपने स्तर पर ही दुकानदार को चिह्नित करे, जहां से मिड डे मील का सारा सामान खरीदा जा सके या सरकार खुद ही सारा सामान भिजवाए। विभाग गैस सिलेंडर लेने के लिए गैस एजेंसी को पत्र लिखे कि स्कूलों को सिलेंडर दें और भुगतान विभाग से ले। वर्जन

मुख्यालय से फिलहाल तो यहीं आदेश है कि मिड डे मील की राशि स्कूल के खातों की बजाय सीधे दुकानदार के खाते में जाएगी। जिसको लेकर स्कूलों से उन दुकानदारों की डिटेल मांगी जा रही है, जहां से एमडीएम की खाद्य सामग्री खरीदनी है। जो भी मुख्यालय से आदेश होंगे उनको लागू किया जाएगा।

पिरथी सैनी, डिप्टी डीइइओ


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