आतंकवादियों की सूचना देने वाले हवलदार जसविद्र सिंह का निधन
आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना देने वाले हवलदार 54 वर्षीय जसविद्र सिंह का बीमारी से निधन हो गया। खंड के गांव कंडरौली निवासी 54 वर्षीय जसविद्र सिंह इन दिनों कुरुक्षेत्र में कार्यरत थे। वे कुछ समय से कुरुक्षेत्र के निजी अस्पताल में भर्ती थे।
संवाद सहयोगी, रादौर : आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना देने वाले हवलदार 54 वर्षीय जसविद्र सिंह का बीमारी से निधन हो गया। खंड के गांव कंडरौली निवासी 54 वर्षीय जसविद्र सिंह इन दिनों कुरुक्षेत्र में कार्यरत थे। वे कुछ समय से कुरुक्षेत्र के निजी अस्पताल में भर्ती थे। शुक्रवार को कंडरौली में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। कुरुक्षेत्र से आए पुलिसकर्मियों ने उन्हें सलामी दी। जसविद्र सिंह रादौर में कमेटी चौक के पास कई सालों से रह रहे थे। उनके पास दो बच्चे रजत व निधि हैं।
उनके छोटे भाई पप्पू ढांडा ने बताया कि जसविद्र सिंह की अस्थि क्लश क्रिया 19 जनवरी की सुबह कंडरौली में होगी। हवलदार जसविद्र सिंह के निधन पर जाटसभा के प्रधान एडवोकेट सुरेशपाल बंचल, प्रदीप खुर्दबन, जसविद्र सिंह बंचल, गंगाराम पोटली, राजेश ढांडा, नीरज देसवाल, प्रदीप देसवाल, मनजीत सिंह पंजेटा, कुलदीप सिंह नंबरदार छोटाबांस, महेंद्र सिंह, धर्म सिंह बंचल, सुखबीर सिंह धर्मबीर दारसी ने शोक प्रकट किया है। जसविद्र की बहादुरी से मारा गया था आतंकवादी:
वर्षों पहले हरियाणा व पंजाब के खतरनाक आंतकवादी हरमीत सिंह टोची व ध्यान सिंह उर्फ ध्याना को पुलिस ने जसविद्र सिंह ढांडा की बहादुरी से मुठभेड़ में मार गिराया था। 4 अप्रैल 1993 को दोनों आतंकवादी गांव गुमथला राव में रात के समय किसी ग्रामीण के यहां ठहरे हुए थे। जिसकी सूचना जसविद्र सिंह ने पुलिस को दी। आंतकवादियों के गांव गुमथला राव में होने की सूचना मिलते ही पुलिस में हडकंप मच गया था। जिसके बाद पुलिस के डीजीपी कल्याण रूद्र तक मौके पर पहुंचे थे। आंतकवादियों व पुलिस के जवानों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी। जिसमें जसविद्र सिंह ने पुलिस की मदद की। जिस कारण पुलिस ने दोनों आंतकवादियों को मार गिराया था। पुलिस की मदद करने पर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी कल्याण रुद्र ने जसविद्र सिंह को सिपाही के तौर पर पुलिस में भर्ती किया था।