जीरो तो बच्चे घर बैठकर भी ले सकते हैं, स्कूलों में अध्यापकों का फायदा क्या
एडीसी ने खंड शिक्षा अधिकारी से कहा आप अपने शिक्षकों को जगाओ। इतना कुछ सुनने के बाद शिक्षकों ने जवाब दिया सर अगले माह से सुधार देखने को मिलेगा। एडीसी ने भी तंज कसने में देरी नहीं की। बोले इतने महीने जागने के बाद तो जीरो तक पहुंचे हैं।
राजेश कुमार, यमुनानगर
हिदी को छोड़ ज्यादातर स्कूलों में अन्य सब्जेक्ट का बुरा हाल है। बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम 5, 11, 26 प्रतिशत है। ये भी कोई रिजल्ट होता है। कई स्कूलों में तो हिदी का परीक्षा परिणाम भी खराब है। जीरो तो बच्चे अपने घर बैठ कर भी ले सकते हैं, फिर बच्चों को स्कूल में आने की क्या जरूरत है? गत वर्ष के रिजल्ट को देखें तो साफ है कि टीचर बच्चों को पढ़ा नहीं रहे। एडीसी केके भादू ने राजकीय स्कूलों के प्रिसिपल, हेडमास्टरों व बीईओ से ये सवाल पूछे।
एडीसी ने खंड शिक्षा अधिकारी से कहा, आप अपने शिक्षकों को जगाओ। इतना कुछ सुनने के बाद शिक्षकों ने जवाब दिया सर, अगले माह से सुधार देखने को मिलेगा। एडीसी ने भी तंज कसने में देरी नहीं की। बोले, इतने महीने जागने के बाद तो जीरो तक पहुंचे हैं। दरअसल बुधवार को बाल भवन के सभागार में बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट सुधारने, टीचरों की सर्विस बुक को ऑनलाइन करने व सक्षम 2.0 की समीक्षा करने के लिए सभी राजकीय हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्रिसिपल, हेडमास्टर व बीईओ को बुलाया गया था। इसमें एडीसी केके भादू, डीईओ जोगिद्र हुड्डा, डिप्टी डीईओ सुशील कुमार, डिप्टी डीईओ शिव कुमार धीमान ने स्कूल इंचार्ज से सवाल-जवाब किए। एडीसी बोले, पूर्व डीईओ की हम भुगत रहे
केके भादू ने कहा कि स्टेट में बोर्ड परीक्षा का परिणाम करीब 57 प्रतिशत था, लेकिन यमुनानगर 45 प्रतिशत से भी नीचे है। यमुनानगर शिक्षा को छोड़ कर सभी मामलों में पीछे है। बोर्ड परिणाम में हमारा नंबर 19वां या 21वां आता है। पूर्व डीईओ (इसी साल रिटायर हुए आनंद चौधरी) ने तो रिटायरमेंट लेते ही राजनीति का पट्टा अपने गले में पहन लिया। उनकी करनी भुगत हम रहे हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल बोर्ड परीक्षा को लेकर गंभीर हैं। उनके पास हर रोज 200 से 250 टीचर अपनी ट्रांसफर के लिए आते हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने एक भी ट्रांसफर नहीं किया। अब वक्त बदल गया है। जिन बच्चों को आप पढ़ा रहे हैं उनके माता-पिता अनपढ़ नहीं बल्कि पढ़े लिखे हैं। इसलिए अपने आप को सुधार लें और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दें। अब टीचरों के पास केवल दो माह ही बचे हैं जो किसी चुनौती से कम नहीं। इन स्कूलों का रहा था खराब प्रदर्शन :
खराब परिणाम को लेकर एडीसी ने सबसे पहले बिलासपुर बीईओ सतपाल से जवाब मांगा। उनके ब्लॉक के जीपीएस मिल्क खास व भील छप्पर खराब प्रदर्शन था। कलस्टर इंचार्ज ने कहा कि स्कूलों में टीचरों के बीच खींचतान थी। जो खराब प्रदर्शन का कारण बना। बीईओ ने कहा कि इसके लिए टीचरों का दूसरे स्कूल में ट्रांसफर कर दिया है। छछरौली ब्लॉक के बीईओ ने कोटड़ा काहन सिंह, खादर, कनालसी, नंदगढ़, मलिकपुर बांगर, मानकपुर, खारवन, बागपत के खराब परिणाम पर कहा कि एक्स्ट्रा क्लास लगा रहे हैं। एडीसी ने कहा यदि एक्स्ट्रा क्लास से भी परिणाम नहीं सुधरा। इसी तरह जगाधरी खंड के कैंप, मंडौली, तेलीपुरा, बाडी माजरा, सरस्वती नगर के छप्पर, कान्हड़ी कलां, झाड़ चांदना के खराब परिणाम पर नाराजगी दिखाई। कम सर्विस वालों के हाथ खड़े कराए :
केक भादू ने उन प्रिसिपल के हाथ खड़े कराए जिनकी सर्विस के पांच व दस साल बचे थे। उन्होंने कहा कि यदि खराब रिजल्ट आया तो सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें ही आने वाली है। पेंशन के करोड़ों रुपये रुक जाएंगे। अब सभी की सर्विस बुक ऑनलाइन हो रही है। जिसमें रिजल्ट का कॉलम भी लिखवाया जाएगा। मैं एजुकेशन को छोड़ना चाहता हूं लेकर ये मेरा पीछा ही नहीं छोड़ती। मार्च तक तो मैं यहीं हूं इसके बाद कहीं गया तो सबको पता है कहां (मुख्यालय की तरफ इशारा) जाउंगा। फिर वहां से जवाब लूंगा। टीचरों ने सुझाव भी दिए :
इस दौरान संयुक्त शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक रामस्वरूप शर्मा ने शिक्षा में सुधार के लिए सुझाव देते हुए कहा कि निष्ठा ट्रेनिग डेढ़ माह से चल रही है। ये ट्रेनिग छुट्टियों में भी कराई जा सकती थी। स्कूलों में टीचर नहीं है। कई स्कूलों में बच्चों के बैठने को डेस्क नहीं है। स्कूलों में ट्रेनिग व एक्टिविटी इतनी ज्यादा है कि टीचरों को बच्चों को पढ़ाने का मौका ही नहीं मिलता। यदि इस तरफ ध्यान दिया जाए तो परिणाम में सुधार की गारंटी टीचर लेते हैं।