छह एकड़ में काट दी दो अवैध कॉलोनियां, निगम को पता ही नहीं, डीटीपी ने चलवाया पीला पंजा
रादौर रोड पर जोड़ियां गांव के रकबा में छह एकड़ में अवैध रूप से काटी गई दो कॉलोनियों पर जिला नगर योजनाकार ने बुधवार को जेसीबी चलवा दी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : रादौर रोड पर जोड़ियां गांव के रकबा में छह एकड़ में अवैध रूप से काटी गई दो कॉलोनियों पर जिला नगर योजनाकार ने बुधवार को जेसीबी चलवा दी। अवैध कॉलोनी की जानकारी निगम समेत तमाम विभागों के अधिकारियों को नहीं लगी। डीटीपी की टीम ने जेसीबी से 37 भवनों की नींव, प्रॉपर्टी डीलरों के चार कार्यालय, पांच चारदीवारी व आने जाने के लिए बनाए गए कई कच्चे रास्तों को तोड़ दिया। इस दौरान लोगों ने विभाग की इस कार्रवाई का विरोध भी किया लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। जिस कॉलोनी में यह कार्रवाई की गई उसमें तीन फीट तक बरसात का पानी भरा था। अब बड़ा सवाल यह है कि अवैध निर्माण की अनुमति किसने दी भी बड़ा सवाल है। प्रशासन ने लोगों को चेतावनी दी है कि यदि भविष्य में निर्माण किया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डीटीपी अमित मधोलिया ने बताया कि उन्हें कुछ दिन पहले पता चला था कि जोड़िया गांव दो अवैध कॉलोनियां काटी गई हैं। जिनमें लोगों ने निर्माण शुरू कर दिया है। कॉलोनियों के लिए विभाग से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई थी। वे टीम के साथ मौके पर गए और जांच की। पहले नोटिस दी गई और बाद में निर्माण को तोड़ दिया गया। जहां पर अवैध निर्माण तोड़े गए वहां पर डीटीपी कार्यालय की तरफ से एक चेतावनी बोर्ड लगाया गया जिस पर लिखा था कि यहां पर किसी भी प्रकार का निर्माण, सड़क निर्माण व कॉलोनी विकसित करने से पहले कार्यालय से अनुमति लेना जरूरी है। यहां प्लॉट बेचने व खरीदने से पहले विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। इसके बिना खरीद फरोख्त करने वाले पर कार्रवाई की जाएगी। अवैध निर्माण ढहाने के लिए बीडीपीओ जगाधरी आरडी साहनी ड्यूटी मजिस्ट्रेट लगाया गया था। थाना फर्कपुर पुलिस ने टीम को सुरक्षा मुहैया करवाई। मौके पर डीटीपी कार्यालय से एटीपी दिनेश सिंह, एफआइ मोहित शर्मा, जेई मोहित कुमार, जेई रविद्र कुमार मौजूद रहे। क्या निर्माण से पहले नक्शे पास कराए गए :
अवैध कॉलोनी में निर्माण करने से पहले क्या नगर निगम से नक्शे पास कराए गए। यदि नक्शे पास नहीं हुए तो नगर निगम के अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं। क्योंकि जोड़ियों गांव नगर निगम में आता है। लोगों का आरोप है कि पहले जानबूझ कर अवैध निर्माण करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जाती। जब निर्माण हो जाता है तो अधिकारी उसे तोड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। यदि डीटीपी यहां कार्रवाई नहीं करते तो दो-तीन साल में यहां नई कॉलोनी बस गई होती। यही वजह है कि नगर निगम में इस वक्त 500 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां बस चुकी है। जिनमें रहने वाले लोग जरूरी सुविधाओं से महरूम हैं।