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बजट सत्र से बाईपास पर फ्लाईओवर को मिलेगी सहमति

केंद्रीय मंत्री ने दी थी आठ जगह फ्लाईओवर बनाने की सहमति 23 किलोमीटर बाईपास पर 10 माह में

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 07:23 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 01:01 AM (IST)
बजट सत्र से बाईपास पर फ्लाईओवर को मिलेगी सहमति
बजट सत्र से बाईपास पर फ्लाईओवर को मिलेगी सहमति

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है। इससे जिला के लोगों को काफी उम्मीदें हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण मांग कैल से कलानौर तक बाईपास पर फ्लाइओवर और अंडरपास बनाने की है। 23 किलोमीटर लंबे बाईपास पर 10 माह में ही 32 से ज्यादा हादसे हो चुके हैं, जिनमें ज्यादातर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। परंतु अभी तक सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया। आठ ऐसी सड़कें हैं जहां पर बाईपास बनाए जाने की जरूरत है। सीएम के समक्ष विधायक भी उठा चुके हैं मामला

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कलानौर से कैल तक बाईपास की लंबाई 23 किलोमीटर है। यह बाईपास जिला के 27 गांवों से होकर गुजरता है, परंतु रादौर रोड को छोड़कर इस पर कहीं भी फ्लाईओवर या अंडरपास नहीं है। यमुनानगर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा और रादौर विधायक श्याम ¨सह राणा ने यह मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने उठाया था। इसके बाद सीएम ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की थी। नितिन गडकरी ने फ्लाईओवर के निर्माण को सहमति दी थी। परंतु आज तक यह मामला फाइलों में ही दबा हुआ है। बाईपास को क्रॉस करती हैं नौ सड़कें

पीडब्ल्यूडी विभाग के तिगरा-तिगरी-दुसानी रोड (आठ गांव), कमालपुर-टापू रोड (22 गांव), जठलाना-गुमथला रोड (करनाल व जिले के 70 गांव), जयपुर-अलाहर रोड (12 गांव), खेड़ी लक्खा ¨सह रोड (जिले और कुरुक्षेत्र के 40 गांव), अकालगढ़ से मंडौली रोड (चार गांव) सुढल-सुढैल रोड (15 गांव), कैल से माजरा रोड (पांच गांव), रोड छप्पर-भूत माजरा रोड (पांच गांव) नौ सड़कें हैं जो बाईपास को क्रॉस करती हैं। फिलहाल इनमें से जठलाना- गुमथला रोड पर ही ओवरब्रिज बनने की योजना को स्वीकृति मिली है। इस रोड से दिल्ली जाने वाले लोग भी निकलते हैं। अब तक हो चुके हैं 32 से ज्यादा हादसे

बाईपास को पार करना खतरे से खाली नहीं है। 25 अप्रैल 2018 से इससे वाहनों का ट्रायल शुरू हुआ था। इसे शुरू हुए अभी तक एक साल भी पूरा नहीं हुआ और इस पर 32 से ज्यादा हादसे हो सकते हैं। ज्यादातर हादसे रेत, बजरी से भरे डंपरों और कारों से हो रहे हैं। क्योंकि खनन जोन से जितने भी वाहन आते हैं वो इसी से होकर गुजरते हैं। 400 एकड़ भूमि हुई थी अधिगृहीत

23 किलोमीटर लंबे बाईपास के लिए 27 गांवों की 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई थी। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 470 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। बाईपास से पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के वाहन गुजरते हैं। इसलिए हर समय वाहनों की कतार लगी रहती है। विधानसभा में करें बाईपास बनाने की घोषणा : रामबीर

भारतीय किसान संघ के प्रदेश महामंत्री रामबीर चौहान का कहना है बाईपास पर फ्लाईओवर बनवाने के लिए यूनियन काफी समय से संघर्ष कर रही है। इसके लिए विधायकों से लेकर तमाम मंत्रियों तक सभी से मिल चुके हैं। नितिन गडकरी ने फ्लाईओवर बनाने पर सहमति तो दी थी परंतु अब तक काम किसी पर शुरू नहीं हुआ। बाईपास बनने से किसानों की जमीन दो हिस्सों में बंट गई है।


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