अटल का बजट बाल वैज्ञानिकों की राह में बना रोड़ा
अटल ¨टक¨रग लैब के लिए जिला के तीन स्कूलों का किया गया था चयन लैब शुरू करने व रखरखाव के
अटल ¨टक¨रग लैब के लिए जिला के तीन स्कूलों का किया गया था चयन
लैब शुरू करने व रखरखाव के लिए मिलने थे 20 लाख रुपये जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बाल वैज्ञानिक तैयार करने की राह में अटल का बजट रोड़ा बन गया है। नीति आयोग की ओर से अटल इनोवेशन मिशन के तहत जिला के दो प्राइवेट व एक नवोदय स्कूल में अटल ¨टक¨रग लैब खोली जानी थी। परंतु तीन साल बीत गए अभी तक एक भी स्कूल को बजट का एक रुपया भी नहीं मिला है। योजना के तहत प्रत्येक स्कूल को लैब खोलने के लिए 20 लाख रुपये दिए जाने थे।
अटल ¨टक¨रग लैब खोलने के लिए जिला के सेंट लारेंस स्कूल जगाधरी, दिल्ली पब्लिक स्कूल जगाधरी व नवोदय विद्यालय चूहड़पुर का चयन किया गया था। ये लैब इसलिए खोले जाने थे ताकि विद्यार्थियों का साइंस के प्रति रूची बढ़े। उनके पास अगर कोई इनोवेटिव आइडिया है तो वे प्रेक्टिकली उस लैब में कर सकें। इन लैब में 6वीं से 10वीं तक के विद्यार्थी काम कर सकते हैं। लैब स्थापित करने के लिए स्कूल को 20 लाख की ग्रांट दी जानी थी। इसमें से 75 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार व 25 प्रतिशत स्कूल द्वारा वहन की जानी है। प्रारंभिक चरण में 10 लाख रुपये दिए जाने थे जबकि बाकी के 10 लाख लैब के रख रखाव के लिए अगले पांच साल तक दिए जाने थे। मॉडल तैयार करने में मिलती मदद :
पिछले कुछ सालों से बाल वैज्ञानिकों ने देश में अपनी विशेष पहचान बनाई है। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे प्रतिभा के धनी है। परंतु मौका नहीं मिलने के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाते। ऐसे बाल वैज्ञानिकों को तैयार करने के लिए ही अटल ¨टक¨रग लैब खोली जानी थी। इस लैब में बच्चे जो भी मॉडल या यंत्र तैयार करने उसका सारा खर्च सरकार द्वारा ही वहन किया जाना है। परंतु बजट न मिलने से केवल विद्यार्थियों ही नहीं बल्कि स्कूलों में भी निराशा का माहौल है। प्रदेश में 13 लैब ही खुल सकी : विशाल
शिक्षा विभाग के साइंस स्पेशलिस्ट विशाल ¨सघल का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा दो प्राइवेट व एक नवोदय विद्यालय में अटल ¨टक¨रग लैब खोली जानी थी। करीब तीन साल से इन लैब को शुरू करने के लिए बजट नहीं मिल पाया है। अब तक प्रदेश के 13 स्कूलों में ही लैब खुल पाई हैं। लैब के लिए रखी हैं कुछ शर्ते :
- जिन स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी और प्लेग्राउंड हो।
- जिनके पास 1500 वर्ग फीट जगह हो।
- स्कूल में अच्छे साइंस और गणित के अध्यापक हों।
- विद्यार्थियों की उपस्थिति तीन साल में पांच प्रतिशत या उससे अधिक रही हो।