Move to Jagran APP

स्कूल के बाहर बिक रहीं किताबें डीसी बोलीं कार्रवाई के लिए तैयार

अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों के प्राइवेट स्कूलों की किताबें बिना नाम वाले गोदामों में सरेआम बिक रही हैं। कार्रवाई के नाम पर सभी विभाग एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। इस बारे में डीसी आमना तस्नीम का कहना है कि स्कूलों के किताबें बेचे जाने का मामला संज्ञान में आया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 12:21 AM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 12:21 AM (IST)
स्कूल के बाहर बिक रहीं किताबें डीसी बोलीं कार्रवाई के लिए तैयार
स्कूल के बाहर बिक रहीं किताबें डीसी बोलीं कार्रवाई के लिए तैयार

जागरण संवाददाता, यमुनानगर:

loksabha election banner

अभिभावकों को प्राइवेट स्कूलों के

प्राइवेट स्कूलों की किताबें बिना नाम वाले गोदामों में सरेआम बिक रही हैं। कार्रवाई के नाम पर सभी विभाग एक-दूसरे की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। इस बारे में डीसी आमना तस्नीम का कहना है कि स्कूलों के किताबें बेचे जाने का मामला संज्ञान में आया है। इस बारे में डीईओ और एसडीएम को जांच करने के आदेश दिए हैं। एक हफ्ते में कार्रवाई के परिणाम सामने आएंगे।

वहीं दूसरी ओर किताबें बेचने वाले अभिभावकों को हजारों रुपये के बिल तक नहीं दे रहे। दैनिक जागरण के मामला उठाए जाने के बाद डीईओ ने जिला के सभी बीईओ को पत्र लिखा है कि कोई भी स्कूल किताबें नहीं बेच सकता। केवल पांच दिन खुली रहेंगी किताबों की दुकानें

स्कूलों की ओर से दुकानदारों को किताबें खरीदने के लिए जो पते बताए जा रहे हैं उनके बाहर प्रिट निकालकर लगा दिया है कि कि किताबें केवल 26 से 31 मार्च तक ही ली जा सकती हैं। दुकान सुबह 10 बजे से शाम के सात बजे तक खुलेंगी। इन गोदामों के बाहर न तो किसी का नाम है और न ही मोबाइल नंबर। गोदाम से दिए दो दुकानों के बिल

एक अभिभावक ने बताया कि उसका बेटा सेक्टर-17 के निजी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ता है। स्कूल से उसे बताया था कि किताबें सेक्टर में बनी मार्केट में दुकान से मिलेंगी। मंगलवार सुबह वह किताबें लेने पहुंचा तो देखा कि वहां कोई दुकान नहीं थी। महीनों से खाली पड़ी एक दुकान में किताबें रखी थी। इस पर किसी का नाम तक नहीं था। यहां से उसे 3350 रुपये की किताबें दी। यहां तक की बिल भी नहीं दिया गया। उसने जबरदस्ती बिल मांगा तो स्कूल के स्टॉफ ने उसे विवेक बुक डिपो के नाम से 2970 रुपये और वंश बुक डिपो के नाम से 380 रुपये का बिल दिया। बिल पर न तो मोबाइल नंबर था और न जीएसटी नंबर। उनका कहना है कि जब दुकान पर कोई नाम ही नहीं था तो वह दो अन्य दुकानदारों के नाम से बिल कैसे काट रहा है। किताबों पर टैक्स नहीं है : पीएस मोर

आबकारी और कराधान (सेल्स) अधिकारी पीएस मोर का कहना है कि जो किताबें बेच रहा है उसका रजिस्ट्रेशन है या नहीं, ये देखना जरूरी है। जीएसटी में 40 लाख रुपये तक की बिक्री और खरीद पर छूट है। वैसे भी किताबें टैक्स फ्री हैं। उनके विभाग की कोई कार्रवाई नहीं बनती। उस एरिया में गोदाम खुल सकता है या नहीं, ये संबंधित विभाग को देखना चाहिए। एमआरपी से ज्यादा बेचने पर ही कार्रवाई : ओमकेश

जिला मापतौल अधिकारी ओमकेश शर्मा का कहना है कि हम इसमें कार्रवाई नहीं कर सकते। ये मामला डीईओ का है। यदि कोई एमआरपी से ज्यादा पर सामान बेचता है तभी उस पर कार्रवाई करने का अधिकार है। डीईओ ने लिखा बीईओ को पत्र

दैनिक जागरण के किताबें सेल करने का मामला उठाए जाने के बाद डीईओ आनंद चौधरी ने सभी बीईओ को पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि कोई भी स्कूल अपने यहां कामर्शियल गतिविधि नहीं करेगा। वे अभिभावकों को किसी एक दुकान से किताबें और वर्दी खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकते, लेकिन पत्र लिखे जाने के बावजूद किताबें बेचने का कार्य सरेआम होता रहा। अभिभावकों से पेमेंट लेने के बाद ही किताबें दी जा रहीं हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.