डिफॉल्टरों की जेब से पैसे नहीं निकाल पाई सरकारी की ओटीएस स्कीम
एकमुश्त ऋण अदायगी योजना (वन टाइम सेटलमेंट स्कीम) डिफॉल्टरों की जेब से पैसे नहीं निकाल पाई पाई। केंद्रीय सहकारी समिति के 31434 डिफॉल्टरों में से केवल 4336 ही योजना के तहत ऋण अदा करने के लिए आगे आए हैं। केंद्रीय सहकारी बैंक की रिकवरी मात्र दो प्रतिशत है।
संजीव कांबोज, यमुनानगर
एकमुश्त ऋण अदायगी योजना (वन टाइम सेटलमेंट स्कीम) डिफॉल्टरों की जेब से पैसे नहीं निकाल पाई पाई। केंद्रीय सहकारी समिति के 31434 डिफॉल्टरों में से केवल 4336 ही योजना के तहत ऋण अदा करने के लिए आगे आए हैं। केंद्रीय सहकारी बैंक की रिकवरी मात्र दो प्रतिशत है। हालांकि स्कीम बेहतरीन है, क्योंकि ऐसे ऋणियों की संख्या भी कम नहीं है, जिन्होंने ऋण लेकर दोबारा बैंक की तरफ नहीं छांका और जितना ऋण लिया था, उतना ही ब्याज बन गया। विभाग ने डिफॉल्टरों को नोटिस भी दिए। जागरूकता अभियान भी चलाए, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
यह है स्कीम
जिले में 43 केंद्रीय सहकारी समितियां और 34 केंद्रीय सहकारी बैंक हैं। इनके माध्यम से कृषि और गैर कृषि ऋण दिया जाता है। समय पर ऋण अदा न करने के कारण डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ती चली गई। हालात ऐसे पैदा हो गए कि अधिकारियों व कर्मचारियों की तनख्वाह निकालनी मुश्किल हो गई। ऋण की रिकवरी के लिए एक सितंबर को सरकार ने एकमुश्त ऋण अदायगी योजना की घोषणा की। इसके तहत एकमुश्त ऋण अदा करने पर ऋणधारक को ब्याज से मुक्ति मिल जाएगी। उम्मीद थी कि शायद अब बैंकों का आर्थिक संकट दूर हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
केंद्रीय सहकारी समिति
जिले में केंद्रीय सहकारी समितियों के कुल 31434 डिफॉल्टर हैं। इनके पास 158 करोड़ 77 लाख रुपये का ऋण था। सितंबर में सरकार की घोषणा के बाद के 4336 किसानों ने ऋण अदा किया और 20 करोड़ 76 लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए, बाकी ने दिलचस्पी नहीं ली। ऐसे सदस्य भी काफी हैं, जो 20-20 वर्ष के डिफाल्टर हैं। उम्मीद के मुताबिक ऋण की रिकवरी न होने के कारण अधिकारी भी काफी चितित हैं। इन समितियों के माध्यम से किसानों को सीधे ऋण के साथ ही खाद, दवा और बीज भी मुहैया कराया जाता है।
केंद्रीय सहकारी बैंक
सहकारी बैंकों की 34 शाखाएं हैं। बैंक स्तर पर 824 डिफॉल्टर हैं, जिनके पास 23 करोड़ 77 लाख रुपये बकाया है। योजना के तहत केवल दो प्रतिशत रिकवरी ही पो पाई है। ऋण धारकों के पास अभी 30 नवंबर तक का समय है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस अवधि में ऋण धारकों को योजना का लाभ उठाकर ऋण में छूट का फायदा उठाना चाहिए। ऋण की राशि पर ब्याज माफी की प्रतिशतता अलग है।
नियमित लेन-देन का यह फायदा
पैक्स कृषि और गैर कृषि ऋण, रासायनिक खाद व पेस्टिसाइड्स उपलब्ध कराते हैं। इनका सीधा संबंध किसानों से है। केंद्रीय सहकारी बैंक मकान बनाने, कोई भी व्यवसाय शुरू करने या अन्य जरूरतों के लिए लोन देते हैं। एग्रीकल्चर लोन पर सात प्रतिशत ब्याज है, लेकिन इसे सरकार वहन करती है। किसान को ऋण जीरो प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराया जा रहा है। ऋण अदा करने पर किसान की डिफॉल्टरी टूट जाएगी और वह नियमित रूप से बैंक की सेवाओं का लाभ ले सकेगा। यदि नियमित रूप से लेनदेन न हो तो ब्याज की दर 12 प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
एक कारण यह भी
वर्ष 2008 में तत्कालीन सरकार ने की कर्ज माफी को-आपरेटिव बैंकों और सोसाइटी पर आज तक भारी पड़ रहा है। माफी की आस में खाताधारक अदायगी से गुरेज कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ऋण माफी की योजना दूर-दूर तक नहीं है।
एकमुश्त ऋण अदायगी की योजना बेहतरीन है। ब्याज माफी की इस योजना का फायदा उठाना चाहिए। 30 नवंबर तक ऋणी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसके बाद सरकार कानूनी कार्रवाई अमल में लाएगी। यदि किसान नियमित रूप से लेनदेन करता है तो उसको काफी फायदा है। केंद्रीय सहकारी समितियां जीरो प्रतिशत पर ऋण मुहैया करा रही हैं।
रविद्र राणा, महाप्रबंधक, केंद्रीय सहकारी बैंक, यमुनानगर।