रादौर में बंद पड़े प्लांट को नहीं चला पाई सरकार, तरावड़ी में नया लगाने की योजना
हालांकि क्षेत्र में हल्दी की खेती की जा रही है लेकिन प्लांट बंद होने के कारण किसानों को फसल के खरीददार नहीं मिल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : रादौर में आठ साल से बंद पड़े उत्तर भारत के एकमात्र हल्दी प्रोसेसिग प्लांट को चलाए जाने पर सरकार अभी कोई निर्णय नहीं ले पाई है। प्लांट के भविष्य पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि क्षेत्र में हल्दी की खेती की जा रही है, लेकिन प्लांट बंद होने के कारण किसानों को फसल के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उधर, सरकार की ओर से तरावड़ी में नए सिरे से प्लांट लगाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है जिससे हल्दी उत्पादक किसानों में रोष है। प्रगतिशील किसान सतपाल कौशिक ने मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री और अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रादौर में बंद पड़े हल्दी प्लांट को मोडिफाई कर चलाए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि तरावड़ी में नया प्लांट लगाए जाने की योजना किसान हित में नहीं है। जो प्लांट पहले से बंद पड़ा है, उसको चलाया जाए। उनके मुताबिक हल्दी की खेती यमुनानगर, अंबाला और पंचकूला के आसपास के क्षेत्रों होती है। यहां किसान पापुलर के बीच हल्दी की खेती करते हैं। लेकिन तरावड़ी में किसानों को हल्दी के प्रति रूझान नहीं है। उस एरिया में यह खेती नहीं होती। इसलिए लिया था निर्णय
क्षेत्र में हल्दी की खेती के प्रति किसानों का रुझान को देखते हुए सरकार ने 2008 में रादौर में करोड़ों रुपये खर्च कर हल्दी का प्रोसेसिग प्लांट लगाया था। शुरुआती दौर में यह प्लांट अच्छा चला। हल्दी की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से किसानों को बीज भी उपलब्ध कराया गया। लेकिन कुछ साल बाद प्लांट बंद हो गया। किसानों ने हल्दी की खेती जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनको फसल के खरीददार नहीं मिल रहे हैं। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि तरावड़ी में नए सिरे से हल्दी प्रोसेसिग प्लांट लगाया जाना किसानों के हित में नहीं है। इस योजना पर सरकार पुर्नविचार करे। रादौर के प्लांट को चलाया जाए
किसानों का कहना है कि यदि तरावड़ी में प्लांट लगाया गया तो अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला व आसपास के किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए तरावड़ी लेकर जाना पड़ेगा। इसलिए रादौर प्लांट को जल्दी चालू कराया जाए व किसानों को उत्तम किस्म के हल्दी के बीज उपलब्ध कराए जाए। एग्रोफोरेस्टरी करने वाले किसानों को भी इसका लाभ होगा। ऐसे किसान हल्दी की खेती कर सकेंगें और हल्दी प्रोसेसिग प्लांट को भी हल्दी उपलब्ध होती रहेगी।