सरकार ने उद्योग की पालिसी में किया बदलाव 451 प्लाई बोर्ड इकाइयों को राहत
प्रदेश की प्लाईबोर्ड इकाइयों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। सन 2016 में नियम बनाया गया था कि ये इकाइयां वन क्षेत्र से 10 किमी की दूरी पर ही चल सकती। उद्यमियों की मांग पर सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए दूरी घटाकर तीन किलोमीटर कर दी थी। उसके बाद भी उद्यमी संतुष्ट नहीं थे। वह फोरेस्ट एरिया से 500 मीटर की दूरी की मांग कर रहे थे। जिसको सरकार ने अब मंजूर कर लिया है। इससे 130 इकाइयों का अधर में लटका लाइसेंस जारी होने का रास्ता साफ हो गया। साथ ही 321 इकाइयों के लाइसेंस का नवीनीकरण भी हो सकेगा।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : प्रदेश की प्लाईबोर्ड इकाइयों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। सन 2016 में नियम बनाया गया था कि ये इकाइयां वन क्षेत्र से 10 किमी की दूरी पर ही चल सकती। उद्यमियों की मांग पर सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए दूरी घटाकर तीन किलोमीटर कर दी थी। उसके बाद भी उद्यमी संतुष्ट नहीं थे। वह फोरेस्ट एरिया से 500 मीटर की दूरी की मांग कर रहे थे। जिसको सरकार ने अब मंजूर कर लिया है। इससे 130 इकाइयों का अधर में लटका लाइसेंस जारी होने का रास्ता साफ हो गया। साथ ही 321 इकाइयों के लाइसेंस का नवीनीकरण भी हो सकेगा। वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि प्लाईबोर्ड व्यापारी काफी समय से वन क्षेत्र से दूरी कम करने की मांग कर रहे थे। नियम में बदलाव किया गया है। निश्चित तौर से इससे व्यापारियों को राहत मिलेगी।
ये आ रही थी दिक्कत :
लंबे समय से प्रदेश में बोर्ड इंडस्ट्री के लाइसेंस पर रोक थी। केंद्र सरकार ने वर्ष- 2016 में लक्कड़ की आवक के मुताबिक लाइसेंस जारी करने की पालिसी तैयार की। तभी राज्य सरकार ने भी अपनी पालिसी बनाई। दा यमुनानगर मैन्यूफैक्चरर्स प्लाईबोर्ड एसोसिएशन के उपप्रधान सतीश चौपाल, व्यापारी सतीश सैनी, पीलिग प्रधान बलविद्र सिंह, सुनील कांबोज, संजय कांबोज, शिव कुमार कांबोज का कहना है कि जिले में वन क्षेत्र अधिक है। इस क्षेत्र से दस किलोमीटर दूरी का नियम इंडस्ट्री के लिए नुकसानदायक था। राज्य सरकार ने इसको बदलकर तीन किमी कर दिया। तब भी दिक्कत कम नहीं हो रही थी। नियमों की पालना के लिए वन विभाग से नोटिस आने लगे थे। कई व्यापारियों की फैक्ट्री तैयार थी। उसके बाद भी नियम के कारण व्यापार शुरू नही कर पा रहे थे। इस बारे सीएम मनोहर लाल व वन मंत्री से मिला गया। उनके प्रयास से वन क्षेत्र से दूरी पांच सौ मीटर हुई है।
बोर्ड इंडस्ट्री का हब है यमुनानगर :
यमुनानगर में जिले में बोर्ड की जुड़ी एक हजार इकाइयां हैं। सन 1980 के दशक में जिले में इस कारोबार ने तेजी पकड़ी। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल व उत्तराखंड से यहां पर कच्चा माल पोपुलर व सफेदा आता है। यहां मंडौली व मानकपुर में दो लक्कड़ मंडी हैं। हर रोज सवा दो लाख क्विटल कच्चे माल की बोर्ड की इंडस्ट्री में खपत है। इससे 85 प्रतिशत कच्चा माल अकेले उत्तर प्रदेश के किसान लेकर आते हैं। डेढ़ लाख से अधिक श्रमिक बोर्ड की फैक्ट्रियों में काम करते हैं। देश भर में तैयार माल सप्लाई होती है।