आवाजाही के लिए ठेके पर दिया घाट, इस बार दो लाख का नुकसान
प्रशासन की ओर से यमुना नदी के गुमथला घाट को आवाजाही के लिए वर्ष 2021-22 के लिए ठेके पर दे दिया गया है। बोली के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी की गई। गुमथला निवासी विनोद के नाम यह ठेका अलाट हुआ है। पहले तीन बार इस घाट की बोली रद्द हो चुकी है। जिसके लिए अब नए सिरे से बोली करवाई गई। घाट से आने जाने वाले लोगों से ली जाने वाली निर्धारित फीस को काफी कम बताकर इस बार ठेकेदार इसमें कोई रूचि नहीं ले रहे थे।
संवाद सहयोगी, रादौर : प्रशासन की ओर से यमुना नदी के गुमथला घाट को आवाजाही के लिए वर्ष 2021-22 के लिए ठेके पर दे दिया गया है। बोली के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी की गई। गुमथला निवासी विनोद के नाम यह ठेका अलाट हुआ है। पहले तीन बार इस घाट की बोली रद्द हो चुकी है। जिसके लिए अब नए सिरे से बोली करवाई गई। घाट से आने जाने वाले लोगों से ली जाने वाली निर्धारित फीस को काफी कम बताकर इस बार ठेकेदार इसमें कोई रूचि नहीं ले रहे थे। जिसके लिए अधिकारियों ने डिमांड डीसी के पास भेजी लेकिन वहां से भी इसे अप्रूवल नहीं मिल पाई। अब पुराने रेटों पर ही एक बार फिर से बोली करवाई गई। इस बार घाट का ठेका 6 लाख 5 हजार रुपये में अलाट हुआ है। जबकि गत वर्ष यह राशि 8 लाख 20 हजार रुपये थी। जिसे सतीश कलसौरा ने ठेके पर लिया था। इस बार की राशि में प्रशासन को करीब दो लाख से अधिक का नुकसान हुआ है। इनसेट
विवादों में रहता है घाट
यमुना नदी के गुमथला घाट हर वर्ष प्रशासन की ओर से बोली करवाई जाती है । इसके बाद ठेकेदार आवाजाही के लिए यह घाट ठेके पर दिया जाता है, लेकिन यह घाट हर वर्ष विवादों के घेरे में रहता है।घाट से गुजरने वाले वाहन चालकों से अधिक पैसे लेने व घाट के रास्ते से तस्करी का कार्य होने को लेकर चर्चा का विषय बना रहता है। बीते दिनों भी सीएम फ्लाइंग की टीम ने यहां पर रेड मारी थी। वहीं दूसरी ओर खनन ठेकेदारों के साथ इस घाट के ठेकेदारों का कई बार विवाद हो चुका है। इनसेट
लगातार कम हो रहा घाट का ठेका
यमुना नदी का आवाजाही के लिए ठेके पर दिए जाने वाले गुमथला घाट कभी पंचायत समिति के राजस्व को मालामाल करता था लेकिन अब लगातार इस घाट के रेट कम होते जा रहे है। चार वर्ष पहले इसी घाट को ठेकेदारों ने करीब 30 लाख रुपये में ठेके पर लिया था। जिसके बाद अगले ही वर्ष यह केवल 12 लाख रुपये में यह ठेके पर गया। गत वर्ष यह आठ लाख तो इस वर्ष केवल छह लाख ही घाट की बोली लग पाई।