हरियाणा में सामने आया 300 करोड़ से अधिक के जीएसटी का फर्जीवाड़ा, रडार पर कई फर्में
हरियाणा में 300 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसके बाद कई व्यावसायिक फर्म रडार पर आ गए हैं और जांच जारी है।
यमुनानगर, जेएनएन। पानीपत के बाद ट्विन सिटी यमुनानगर-जगाधरी में भी गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। यह 300 करोड़ से भी ज्यादा हो सकता है। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं। अधिकारियों ने एक फर्म पर अब केस दर्ज कराया है। वे मॉनिटीरिंग की बात कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
जालसाजों ने फर्जी फर्म बनाकर बिल काटा और करोड़ों के टैक्स की चोरी कर ली। उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति ने अपने नाम से फर्म बनाई। फर्म का पता दिया और जीएसटी के पोर्टल पर माल बेचने के बिल अपलोड कर दिए। जबकि न तो कोई माल खरीदा गया और न ही कोई माल बेचा गया, जिस माल का बिल काटा, उस पर टैक्स दिखा दिया और सरकार से इनपुट टैक्स का क्लेम ले लिया। ऑनलाइन पोर्टल की पड़ताल के दौरान यह मामला सामने आया।
ऐसे हुआ पर्दाफाश
अधिकारियों के मुताबिक, पोर्टल की जांच के दौरान सामने आया कि कृष्णा ङ्क्षटबर नाम की फर्म से अचानक मोटे लेन देन के ई-वे बिल जारी होने लगे। इसकी जांच की गई तो पता लगा कि यह फर्म फर्जी है। करीब साढ़े सात करोड़ के बिल इस फर्म के नाम से कटे।
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लखनऊ के राहुल के नाम पर फर्ज रजिस्टर्ड
ईटीओ सुगमपाल ने जगाधरी थाने में शिकायत दी है कि कृष्णा टिंबर के नाम से 19 जून 2018 में फर्म जीएसटी में रजिस्टर्ड हुई थी। फर्म लखनऊ निवासी राहुल कुमार के नाम पर है। फर्म ने प्लाइवुड का कच्चा माल विनीयर सप्लाई करने का ई-वे बिल पोर्टल पर दिखाया। फर्म ने अपना कार्यालय जगाधरी नई अनाज मंडी की दुकान नंबर 69 पर दिखाया।
दुकान सेक्टर 17 के नरेंद्र चंद्र तिवारी के नाम से दिखाई गई। जिसका एग्रीमेंट दिखाया गया। 19 सितंबर 2018 को श्रीराम प्लाई इंडिया फर्म रजिस्टर्ड करवाई गई। एक साथ फर्म का ई-वे बिल का लेन देन जीएसटी पोर्टल पर बढ़ गया, जिससे यह पकड़ में आई। जब जांच की गई, तो पता लगा कि साढ़े सात करोड़ का माल बेचने के बिल जारी किए गए हैं। यह माल 28 फर्मों को बेचा गया दिखाया गया। जांच में मामला सामने आने पर एफआइआर दर्ज कराई गई।
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कई जिलों से जुड़े हैं तार
कृष्णा टिंबर के नाम से बनाई फर्म के मामले में 28 फर्मों को माल बेचने के ई-वे बिल जारी होने की बात सामने आई है। इनमें आठ फर्म यमुनानगर से, हिसार, कुरुक्षेत्र, उत्तरप्रदेश, पंजाब व हिमाचल प्रदेश की हैं। ऐसा भी हो सकता है कि जिन 28 फर्मों को माल बेचने के ईवे बिल पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं, वह भी फर्जी हो।
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छह प्रतिशत का लालच
फर्जी बिल बनाने वाली कंपनियां व्यापारियों को टैक्स बचाने का लालच देते हैं। शहर में मेटल, प्लाइवुड व इंजीनियर वर्कस का काम है। इन पर 18 फीसद तक जीएसटी है। फर्जी बिल पर तीन से छह फीसद के लालच में कुछ व्यापारी सरकार को पलीता लगा रहे हैं।
नहीं होती वैरिफिकेशन
जीएसटी में रजिस्ट्रेशन लेने वाले के कार्यालय या पते की वैरिफिकेशन नहीं की जाती। जीएसटी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लिया जा सकता है। साथ ही ऑनलाइन रिटर्न दाखिल होता है। इसका फायदा उठाकर फर्जी फर्म बनाकर फ्रॉड किया जा रहा है।
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'' बोगस फर्म से जिन फर्मों के नाम ई-वे बिल जारी हुआ है। अब उनकी पड़ताल की जाएगी। ऐसी और भी फर्म सामने आ सकती हैं। यह और भी बड़ा मामला हो सकता है। हम अभी उनका नाम नहीं बता सकते।
- सुगमपाल, ईटीओ, यमुनानगर।