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पांच गांवों को किया जाएगा लाल डोरा मुक्त, प्रक्रिया शुरू

गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। प्रथम चरण में जिले के पांच गांवों को लाल डोरा मुक्त किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 08:45 AM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 08:45 AM (IST)
पांच गांवों को किया जाएगा लाल डोरा मुक्त, प्रक्रिया शुरू
पांच गांवों को किया जाएगा लाल डोरा मुक्त, प्रक्रिया शुरू

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गांवों को लाल डोरा मुक्त करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। प्रथम चरण में जिले के पांच गांवों को लाल डोरा मुक्त किया जाएगा। इसकी शुरुआत डीसी मुकुल कुमार ने सुखपुरा से मैपिग ड्रोन को चलवा कर की। इस चरण में सुखपुरा के अतिरिक्त गांव गुलाबगढ़, रोड छप्पर, हरगढ़ और गोलनपुर में डिजिटल मैपिग की जाएगी।

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डीसी ने कहा कि इस परियोजना की शुरुआत सुखपुरा गांव से की गई है। डिजिटल मैपिग में भारतीय सर्वेक्षण विभाग की टीम द्वारा उच्च गुणवत्ता के विशेष प्रकार के ड्रोन के माध्यम से गांव के हर घर और संपत्ति का नक्शा तैयार किया जाएगा। यह ड्रोन लगभग 120 मीटर की ऊंचाई से पूरे गांव के हर भवन, प्लाट व लाल डोरे के तहत आने वाली प्रत्येक राजकीय और निजी संपत्ति का डिजिटल नक्शा तैयार करता है। ड्रोन में 20 मैगाफिक्सल हाई रेज्यूलेशन का कैमरा इतनी सटीक पैमाइश करता है कि संपत्ति की मैपिग में एक इंच तक के अंतर को भी दर्ज किया जा सकता है। क्या है लाल डोरा मुक्त गांव की प्रक्रिया

मौके पर उपस्थित जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी शंकर लाल गोयल ने बताया कि डिजिटल मैपिग के माध्यम से प्रत्येक संपत्ति को पहचान नंबर जारी किए जाएंगे। यह नक्शा प्राप्त होने के उपरांत ग्राम सभा आयोजित करके गांव के सभी लोगों से इस नक्शें पर आपत्तियां मांगी जाएंगी और आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। सभी आपत्तियों के निपटान के उपरांत इस नक्शे को राज्य सरकार से स्वीकृत करवाया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के उपरांत राजस्व विभाग द्वारा लाल डोरे के तहत आने वाली प्रत्येक संपत्ति की रजिस्ट्री संबंधित संपत्ति मालिक को वितरित की जाएगी।

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लाल डोरा मुक्त न होने से लोगों को पेश आती थी परेशानी

तहसीलदार छोटू राम ने बताया कि अब से पूर्व लाल डोरा के अंदर आने वाली संपत्तियों का कोई प्रमाणित दस्तावेज न होने के कारण ऐसी संपत्तियों के मालिकाना हक सिद्ध करने में परेशानी पेश आती थी। विशेषकर संपत्ति की खरीद-फरोख्त और ऐसी संपत्तियों पर बैंकों से ऋण इत्यादि लेने में कानूनी अड़चन थी।


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