पहले करो मतदान उसके बाद 21 को दूसरा काम
मौका है सभी के पास सही चुनने का। बिना किसी दबाव के। 21 अक्टूबर को भी अगर चूक गए तो यह मौका फिर पांच साल के बाद ही आएगा। जो लोग मतदान नहीं करते उनको व्यवस्था पर प्रहार करने का भी अधिकार नहीं है क्योंकि असली निशाना तो हम स्याही के निशान से ही दे सकते हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मौका है सभी के पास सही चुनने का। बिना किसी दबाव के। 21 अक्टूबर को भी अगर चूक गए तो यह मौका फिर पांच साल के बाद ही आएगा। जो लोग मतदान नहीं करते उनको व्यवस्था पर प्रहार करने का भी अधिकार नहीं है, क्योंकि असली निशाना तो हम स्याही के निशान से ही दे सकते हैं। वह भी अचूक। बिलकुल ऐसा जैसा महाभारत में अर्जुन को मछली की आंख पर निशाना लगाने की तरह। इस चुनावी महाभारत में हम सब अर्जुन हैं। निशाना है, बिना भय लालच को त्याग कर वोट डालना। यह कहना है, दैनिक जागरण की ओर से किए गए पाठक पैनल में शामिल बुद्धिजीवी महिलाओं का। डीएवी गर्ल्स कॉलेज में यह कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
लेक्चरर डॉ. सुरेंद्र कौर, डॉ. मोनिका शर्मा, डॉ. विवेक नरूला, अदति और दीपिका कंबोज का कहना है कि हमें ऐसा जनप्रतिनिधि चुनना चाहिए जो जनता की सुने। जिस तक हम आसानी से अपनी आवाज पहुंचा सकें। इस चुनाव में चारों विधानसभाओं में 46 प्रत्याशी मैदान में हैं। चुना केवल चार को ही जाना है। 42 निश्चित तौर से हारेंगे। जीतने वाले उम्मीदवारों को एक समान समझना चाहिए, क्योंकि वह सभी का प्रत्याशी होगा। इसी तरह हारने वाले को भी अपनी हार सहर्ष स्वीकार करनी चाहिए। चुनाव के बाद समाज में भाईचारे की भावना से काम करना चाहिए। कुछ समर्थक भावुक हो जाते हैं। प्रत्याशी की हार-जीत को व्यक्तिगत समझ लेते हैं, यह गलत है। प्रत्याशियों को भी ये बात अपने समर्थकों को जरूर समझानी चाहिए। अच्छा जनप्रतिनिधि वही है जो व्यवहारिक हो, ईमानदार हो और जनता के प्रति समर्पित हो। भेदभाव छोड़कर वोटरों को ऐसे ही प्रत्याशी का साथ देना चाहिए। चाहे वह किसी भी दल का हो, क्योंकि हमारा संविधान हमें पक्षपात करने की इजाजत नहीं देता। देश में संविधान सर्वोपरि कुछ नहीं है। बड़े शहादतों के बाद हमें आजादी मिली थी। तब संविधान मिला। संविधान ने ही हमें वोट डालने की पॉवर दी है। इस पॉवर को सभी को समझना चाहिए। वोट जरूर डाले। तभी हम अच्छे नागरिक बन सकते हैं।