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पिता की करतारपुर साहिब जाने की अच्छा रह गई अधूरी, बेटा उनकी साइकिल लेकर चला गया पाकिस्तान

अपने पिता की अधूरी इछा को पूरी करने के लिए कस्बा के कमेटी चौक निवासी सिमरनजीत सिंह साइकिल पर सवार होकर पाकिस्तान के करतारपुर साहिब पहुंच गया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 09:30 AM (IST)
पिता की करतारपुर साहिब जाने की अच्छा रह गई अधूरी, बेटा उनकी साइकिल लेकर चला गया पाकिस्तान
पिता की करतारपुर साहिब जाने की अच्छा रह गई अधूरी, बेटा उनकी साइकिल लेकर चला गया पाकिस्तान

संवाद सहयोगी, रादौर : अपने पिता की अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए कस्बा के कमेटी चौक निवासी सिमरनजीत सिंह साइकिल पर सवार होकर पाकिस्तान के करतारपुर साहिब पहुंच गया। वहां गुरुद्वारा में माथा टेकने के बाद वह साइकिल पर ही वापस लौट आया। घर पहुंच कर उसकी कहानी जब मां व पड़ोसियों ने सुनी तो हर कोई हैरान रह गया। जिसके बाद हर किसी ने उसकी तारीफ की।

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सिमरनजीत सिंह ने बताया कि उसके पिता त्रिलोक सिंह मल्ली की इच्छा थी कि वे पाकिस्तान के करतारपुर साहिब में जाकर गुरुद्वारा के दर्शन करे। परंतु एक साल पहले ही पिता की अचानक मृत्यु हो गई। इसलिए पिता की करतारपुर साहिब जाने की इच्छा अधूरी ही रह गई। उसी इच्छा को पूरा करने के लिए सिमरनजीत सिंह पिता की उसी साइकिल पर सवार होकर पाकिस्तान की ओर चल दिया जिस साइकिल पर पिता ने पूरी जिदगी व्यतीत की थी। पिता तो दुनिया में नहीं रहे लेकिन बेटा पिता की यादगार के तौर पर उनकी साइकिल लेकर यात्रा पर निकल पड़ा।

वह अपने पिता की इच्छा को हर हाल में पूरा करना चाह रहा था। पुरानी साइकिल पर अपने पिता की बिरादरी मल्ली का स्टीकर लगाकर चला गया। बार्डर पर पहुंचने के बाद वह बस से पाकिस्तान गया। जहां करतारपुर साहिब में माथा टेका। पिता की इच्छा को पूरा कर वापस लौटा। आते समय उसने डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा में भी दर्शन किए। सिमरनजीत सिंह जैसे तैसे वापस तो लौट आया लेकिन अब रादौर में जब सिमरनजीत सिंह पहुंचा तो लोगों ने उनका स्वागत किया। साइकिल पर किया 800 किलोमीटर का सफर :

सिमरनजीत सिंह 13 जनवरी की सुबह साइकिल पर घर से निकला था। अगले दिन दोपहर बाद वे अमृतसर गुरुद्वारा में पहुंच गए। दो दिन यहां ठहरने के बाद भारत-पाकिस्तान बार्डर पर गुरदासपुर पहुंचे। जहां से बस के माध्यम से करतारपुर साहिब जाकर दर्शन किए। आने जाने में सिमरनजीत सिंह ने करीब 800 किलोमीटर का सफर किया। हालांकि उसे जो वीजा मिला था वह धार्मिक था। वह कड़कड़ाती ठंड में पाकिस्तान बार्डर तक साइकिल पर ही गया। उन्होंने बताया कि उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह गाड़ी से पाकिस्तान तक जा सके। मां को बताए बिना पहुंचा पाकिस्तान :

सिमरनजीत सिंह ने पाक जाने से पहले अपनी मां सतविद्र कौर को यह नहीं बताया कि वह पाक जा रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के हालात खराब होने के कारण मां उसे शायद पाकिस्तान जाने नहीं देती। इसलिए वह बिना बताए ही पाकिस्तान चला गया। मां को उसने पाकिस्तान पहुंच कर फोन कर इसकी जानकारी दी। जब वह वापस लौटा है तो मां भी अपने बेटे का गुणगान करते हुए नहीं थक रही। सिमरनजीत सिंह की माने तो वह महज डेढ़ दिन में ही पाकिस्तान पहुंच गया था।


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