मुआवजे की मांग को लेकर डीसी से मिले किसान
बाईपास के लिए अधिग्रिहत की गई 425 एकड़ जमीन का बढ़ा मुआवजा ने मिलने से किसानों में रोष है। भारतीय किसान यूनियन प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में डीसी आमना तस्नीम से मिले। उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेटेर के फैसले के छह वर्ष बाद भी किसानों को मुआवजा नहीं मिला जबकि सात दिन में मिल जाना चाहिए।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : बाईपास के लिए अधिग्रिहत की गई 425 एकड़ जमीन का बढ़ा मुआवजा ने मिलने से किसानों में रोष है। भारतीय किसान यूनियन प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में डीसी आमना तस्नीम से मिले। उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेटेर के फैसले के छह वर्ष बाद भी किसानों को मुआवजा नहीं मिला, जबकि सात दिन में मिल जाना चाहिए। किसानों ने फैसला लिया कि यदि जल्द ही उनको यह मुआवजा नहीं मिला तो 27 मई को खुंडेवाला गुरुद्वारा में किसान महापंचायत का आयोजन होगा। इसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। मुआवजा न मिलने से किसानों में रोष
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश सचिव हरपाल सिंह सुढल, गुरविद्र सिंह गधौला, राजेश कुमार व अन्य का कहना है कि आर्बिट्रेटर का फैसला आने के बाद भी किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा नहीं मिला है। अब किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया है। 27 मई को खुंडेवाला गुरुद्वारा नेशनल हाईवे 73 पर बड़ी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस पंचायत में कोई भी कड़ा निर्णय लिया जा सकता है। उनका कहना है कि एक एकड़ जमीन का कुछ हिस्सा बाईपास में गया है और कुछ दादुपुर नलवी नहर में। नलवी नहर में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा हाईकोर्ट ने जो तय किया है वह 1.16 करोड़ रुपए प्रति एकड़ बन रहा है। जबकि जो उस खेत का हिस्सा बाईपास में गया है उसके अनुसार किसान को साढे 42 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है, जोकि गलत है। किसान पंचकूला-अंबाला एरिया में दिए मुआवजे और सेक्टर-13 के लिए एक्वायर जमीन के मुआवजे को भी आधार बनाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। अक्टूबर में फाइनल हो चुका केस
किसान नेता हरपाल सुढल ने बताया कि अक्टूबर-2018 में यह केस फाइनल हो चुका है। फाइनल होने से पांच दिन बाद तक मुआवजा दिया जाना जरूरी होता है, लेकिन एनएचएआइ ने अब तक किसानों को मुआवजा नहीं दिया है। किसानों ने मजबूरी में आंदोलन की राह पकड़नी पड़ी है।