लाकडाउन में खूब बनाई फर्जी वाहनों की फर्जी आरसी, आज रिकार्ड कब्जे में लेगी एसआइटी
जागरण संवाददाता यमुनानगर लाकडाउन में जब पूरा प्रशासनिक अमला कोरोना वायरस महामारी से
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : लाकडाउन में जब पूरा प्रशासनिक अमला कोरोना वायरस महामारी से निपटने में लगा था तब सचिवालय में स्थित वाहन रजिस्ट्रेशन केंद्र में गाड़ियों की फर्जी आरसी बनाने का खेल चल रहा था। की व्यस्तता का पूरा फायदा उठाया। फर्जी आरसी बनाने वाले कर्मचारियों ने लाकडाउन में दो-चार नहीं बल्कि दर्जनों की संख्या में आरसी बनाई। अब इस मामले का खुलासा हुआ तो आरसी बनाने से लेकर अधिकारियों तक की नींद उड़ी हुई है। लाकडाउन में बंद था सरल केंद्र
मार्च माह में लाकडाउन लगने के कारण प्रशासन ने सभी सरकारी कार्यालयों को आगामी आदेशों तक बंद कर दिया था। तब सरल व ई-दिशा केंद्रों समेत सभी कार्यालयों पर ताले लटक गए थे। इसके बावजूद फर्जी आरसी बनाने वाले सरल केंद्रों में आते रहे। सुढल गांव के दीपक के नाम से जो पांच आरसी बनी हैं उनमें से दो अप्रैल की बनी हुई हैं। इनमें एचआर02एटी-2883 व एचआर02एटी-5106 आरसी 29 अप्रैल 2020 की बनी हुई है। आरसी की वैधता 15 साल के लिए 28 अप्रैल 2035 तक की है। इन आरसी पर एडसीएम जगाधरी के डिजिटल हस्ताक्षर भी हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार ने जब से ज्यादातर सुविधाओं को आनलाइन किया है तब से किसी भी साफ्टवेयर से पिछली तारीख में रजिस्ट्रेशन कराना संभव नहीं है। गत वर्ष आई शिकायत को दबा गए थे अधिकारी :
फाइनेंस गाड़ियों की आनलाइन खरीद के बाद उनकी फर्जी आरसी बनाने की शिकायत जुलाई 2020 में भी एसडीएम कार्यालय में गई थी। तब शिकायत में उन कर्मचारियों नाम भी शामिल थे जिनके नाम अब एफआइआर में दर्ज हैं। परंतु उस वक्त अधिकारियों की उदासीनता नजर आई। तब जिन कर्मचारियों की ड्यूटी सरल केंद्र में थी सभी से स्पष्टीकरण लिया गया था। जिसमें आरोपित अमित ने खुद को बेकसूर बताते हुए कहा था कि उसके खिलाफ किसी ने रंजिशन शिकायत दी है। इसके बाद मामले को रफादफा कर दिया गया था। आज रिकार्ड की जांच करेगी पुलिस
फर्जी आरसी मामले की जांच करने के लिए एसपी कमलदीप गोयल ने डीएसपी जगाधरी, सीआइए इंस्पेक्टर व थाना शहर यमुनानगर प्रभारी की एक एसआइटी बनाई है। एसआइटी सोमवार को एसडीएम कार्यालय से वाहनों के रजिस्ट्रेशन का रिकार्ड अपने कब्जे में लेकर जांच करेगी। रविवार को कार्यालय बंद होने के कारण रिकार्ड की जांच नहीं की जा सकी। अब सभी की निगाहें एसआइटी पर टिकी हैं।