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फैक्ट्रियां चार हजार, एनओसी 300 के पास

दिल्ली में जिस फैक्ट्री के अंदर 43 श्रमिकों की मौत हुई। उसकी एनओसी नहीं थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 08:14 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 08:14 AM (IST)
फैक्ट्रियां चार हजार, एनओसी 300 के पास

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

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दिल्ली में जिस फैक्ट्री के अंदर 43 श्रमिकों की मौत हुई। उसकी एनओसी नहीं थी। इसी तरह से जिले में भी हजारों फैक्ट्री बिना परमिशन के चल रही है। दमकल विभाग से फायर सेफ्टी की एनओसी लेने की कोई फीस नहीं है। विभाग से केवल 683 कामर्शियल संस्थानों ने एनओसी ले रखी है, जिनमें फैक्ट्रियां, स्कूल, कॉलेज, होटल, अस्पताल, इंस्टीट्यूट और बड़े-बड़े मॉल शामिल हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फैक्ट्रियों में श्रमिकों की सुरक्षा के साथ किसी तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये अधिकारियों को भी पता है कि फैक्ट्री संचालकों की ओर से एनओसी नहीं ली जा रही फिर भी वे किसी पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। फैक्ट्रियों में हर साल आग की 50 से 60 से घटनाएं होती है। तब भी सुधार नहीं। जगाधरी और यमुनानगर शहर समेत मानकपुर इंडस्ट्रियल एरिया व अन्य ग्रामीण इलाकों में 4000 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। जबकि दमकल से अभी तक 683 एनओसी ही ली गई हैं। इनमें से करीब 300 फैक्ट्री संचालकों ने ही फायर सुरक्षा के प्रबंधों की एनओसी ले रखी है। जिससे साफ है कि 3700 संस्थान बिना एनओसी के चल रहे हैं। बिना एनओसी वाली फैक्ट्रियों में आग से बचाव के पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। ये हालात तब हैं जब फैक्ट्रियों में बायलर चल रहे हैं। इनमें 24 घंटे सैकड़ों डिग्री तापमान बनाए रखने के लिए इनमें हर समय आग जलती रहती है। इसके अलावा एलपीजी और अन्य गैस सिलेंडरों का भी इस्तेमाल हो रहा है। काफी फैक्ट्रियां केमिकल की हैं जो आग पकड़ते देर नहीं लगाता। कभी भी इनमें धमाका हो सकता है। एक तरह से श्रमिक बारूद के ढेर पर बैठ कर काम करने को मजबूर हैं। खराब हैं अग्निशमन यंत्र

फैक्ट्रियों ने आग से बचाव के लिए संचालकों ने दो-चार अग्निशमन यंत्र लगा रखे हैं, लेकिन ये सब दिखावे के लिए हैं। एक बार लगाने के बाद कोई इनकी तरफ ध्यान नहीं देता। कभी इन्हें चलाकर नहीं देखा जाता कि ये ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। जब कहीं आग लगती है तो सारा दोष दमकल विभाग के ऊपर डाल दिया जाएगा कि गाड़ी समय पर नहीं पहुंची। जबकि संचालक ने आग बुझाने के लिए खुद क्या प्रबंध कर रखे हैं इस पर कोई ध्यान नहीं देता। गत वर्ष अप्रैल में इंडस्ट्रियल एरिया यमुनानगर में जब पेंट की फैक्ट्री में आग लगी थी तो दमकल की 8 गाड़ियों को पानी के तीन-तीन चक्कर लगाने पड़े थे। अधिकारी सुरक्षा के नाम पर कर रहे खिलवाड़

जिन अधिकारियों पर श्रमिकों की सुरक्षा का जिम्मा है वे श्रमिकों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। अपने कार्यालय में बैठकर ही सारी औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। फैक्ट्री में जाकर ये भी नहीं देखते की वहां जो मजदूर काम कर रहे हैं उनके पास सुरक्षा उपकरण हैं या नहीं। उनके सिर पर हेलमेट तक नहीं हैं। पांव में वही जूते हैं जो वो घर से पहन कर जाते हैं। जबकि फैक्ट्री संचालकों को इन्हें चमड़े से बने मजबूत जूते देने होते हैं। एनओसी लेना मालिक का काम : प्रमोद दुग्गल

जिला दमकल अधिकारी प्रमोद दुग्गल का कहना है कि विभाग से केवल 683 एनओसी जारी हुई है। इनमें करीब 300 फैक्ट्रियां होंगी। विभाग से एनओसी लेना फैक्ट्री या संस्थान संचालक का काम होता है जो साल में रिन्यू करानी होती है। एनओसी की कोई फीस नहीं है।


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