एमआरसी डांगी का पांच दिन बढ़ा रिमांड, आपरेटर अमित ट्रांजक्सन रिमांड पर
जागरण संवाददाता यमुनानगर नीलामी के वाहनों में फर्जीवाड़ा करने के आरोपित एमआरसी राज
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
नीलामी के वाहनों में फर्जीवाड़ा करने के आरोपित एमआरसी राजेंद्र डांगी का रिमांड वीरवार को पूरा हो गया। उसे एसआइटी ने कोर्ट में पेश किया। जहां से उसका पांच दिन का और रिमांड लिया गया है। एसआइटी ने तर्क दिया था कि वाहनों से संबंधी रिकार्ड की बरामदगी करनी है। एक अन्य आरोपित कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार को भी प्रोडक्शन रिमांड पर लेकर आरोपित से आमने सामने बिठाकर पूछताछ करनी है। वहीं सिरसा पुलिस ने रिमांड पूरा होने के बाद आरोपित अमित को कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया। हालांकि एसआइटी ने यहां जेएमआइसी अमित गौतम की कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। कोर्ट ने दो दिन बाद याचिका लगाने के आदेश दिए। हालांकि सिरसा कोर्ट से अमित का रिमांड मिला है। एसआइटी के इंस्पेक्टर राकेश मटौरिया ने बताया कि आरोपित अमित को ट्रांजक्सन रिमांड पर लिया गया है।
आरोपित राजेंद्र से एक लाख रुपये बरामद
रिमांड के दौरान एसआइटी ने आरोपित राजेंद्र डांगी को साथ लेकर एसडीएम कार्यालय से वाहनों के दस्तावेज संबंधी रिकार्ड खंगाला। दो दिन से पुलिस रिकार्ड तलाश रही है। इस दौरान 90 फाइलों को कब्जे में लिया गया है। आरोपित राजेंद्र से एक लाख रुपये की रिकवरी भी हुई है। बताया जा रहा है कि आरोपितों ने नीलामी के वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए कंप्यूटर में अलग से स्लैब बना रखी थी। जिसमें एनओसी की जरूरत नहीं पड़ती थी। इसके साथ ही वह सॉफ्टवेयर पर इंजन व चेसिस नंबर में बदलाव कर देते थे। अधिकारियों तक पहुंची जांच की आंच :
सिरसा पुलिस ने आरोपित अमित को रिमांड पर रखा। उससे पूछताछ में छह कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। जिनके नाम सामने आए हैं। अब पुलिस उनसे भी पूछताछ कर सकती है या फिर गिरफ्तार भी कर सकती है। सिरसा डीएसपी कुलदीप बैनीवाल ने बताया कि अमित से हमारी पूछताछ पूरी हो चुकी है। इसलिए उसे रिमांड पर नहीं लिया गया। आरोपित ने कुछ अधिकारियों व कर्मियों के नाम भी बताए हैं। वह नाम नहीं बता सकते। इन नामों की जांच की जाएगी। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वहीं इस मामले की तफ्तीश कर रही स्थानीय एसआइटी पांच सालों का रिकार्ड खंगाल रही है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है। इस दौरान तैनात रहे अफसरों की भी टेंशन बढ़ रही है, क्योंकि पुलिस की जांच उन तक भी पहुंचेगी। पुलिस को बताया एसडीएम कार्यालय के नाम पर एकत्र होते थे एक लाख रुपये
आरोपित राजेंद्र ने पुलिस पूछताछ में फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड अमित को बताया है। पूछताछ में राजेंद्र ने बताया कि अमित ही सभी डीलिग करता था। उसे कुछ ही पैसे मिलते थे, जबकि करीब एक लाख रुपये हर माह एसडीएम कार्यालय के नाम पर लिए जाते थे। यह पैसा अमित ही एकत्र करता था। आरोपित राजेंद्र ने इस फर्जीवाड़े में एक और कर्मचारी का नाम लिया है।