गोशाला में पहुंचे डॉक्टर , बोले- उचित चारा नहीं मिलने से हुई गोवंशों की मौत
रघुबीर राणा प्रतापनगर शहजादवाला में पंचायती जमीन पर चल रही स्वामी वीतरागानंद गोशाला को बजट भी खूब मिला लेकिन अव्यवस्था के चलते गोवंश मर गए।
रघुबीर राणा, प्रतापनगर :
शहजादवाला में पंचायती जमीन पर चल रही स्वामी वीतरागानंद गोशाला को बजट भी खूब मिला, लेकिन अव्यवस्था के चलते गोवंश मर गए। दस गोवंश दम तोड़ चुके हैं तो दो और गोवंशों की हालत गंभीर है। दैनिक जागरण ने गोवंशों के भूख से मरने और डॉक्टरों की विजिट न होने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। बृहस्पतिवार को मलिकपुर पशु अस्पताल से चिकित्सक डॉ. रोहित सैनी गोवंशों की जांच करने के लिए पहुंचे। यहां पर मृत गोवंशों का पोस्टमार्टम तक नहीं करवाया गया। उनकी खाल उतारकर अवशेष फेंक दिए गए। पशु चिकित्सक का भी दावा है कि गोशाला के प्रबंध सही नहीं है। छोटे-बडे़ पशुओं को कैटेगरी के हिसाब से रखा जाना चाहिए, जिससे पशुओं को सही चारा मिल सके। गोशाला में क्षमता से अधिक पशु हैं। पशु बीमार नहीं है, बल्कि उचित चारा न मिलने की वजह से कमजोर हो गए हैं। पोस्टमार्टम होना जरूरी
नियमानुसार मृत गोवंशों का पोस्टमार्टम होना चाहिए, जिससे मौत का कारण पता लग सके। ऐसा भी हो सकता है कि गोशाला में कोई बीमारी आई हो। इस बारे में बिलासपुर एसडीएम गिरीश कुमार से बात करने के लिए कई बार फोन किया गया तो उनका नंबर व्यस्त आता रहा। मामला उजागर होने के बाद केवल एक डॉक्टर ही जांच के लिए पहुंचा। प्रशासन की ओर से किसी ने भी गोशाला की सुध नहीं ली। हालांकि बुधवार को डीसी ने यहां पर उचित व्यवस्था करने का आश्वासन जरूर दिया था। मृत गोवंशों को कुत्ते नोंचते रहे
गोशाला में गोवंशों के मरने का मामला उजागर होने के साथ ही गोशाला प्रबंधन समिति हरकत में आई। बृहस्पतिवार को गोशाला से मृत गायों को उठाया गया। इतना ही नहीं मृत गोवंशों के अवशेषों को भी कुत्ते नोंचते दिखे। फंड के बावजूद भी गोवंशों को नहीं मिल रहा हरा चारा
अकसर फंड न होने की बात कही जाती है, लेकिन गोवंशों की देखभाल के लिए सरकार बजट दे रही है। गोसेवा समिति को गोसेवा आयोग तथा अन्य सरकारी माध्यमों से दो बार दस-दस लाख का बजट दिया गया। एक बार 50 हजार की राशि दी गई। विधानसभा स्पीकर कंवरपाल ने भी अपने फंड से संस्था को दो बार पांच-पांच लाख की राशि दी है। आयोग ने आचार संहिता में गायों की देखभाल का बजट न फंसे, इसलिए एडवांस में यह बजट जारी कर दिया था। प्रत्येक गाय के हिसाब से इस बार 150 से बढ़ाकर 300 रुपये आयोग की ओर से दिए गए। हरकत में आई समिति
मामला उजागर होने के बाद गोसेवा समिति भी हरकत में आई। बृहस्पतिवार को गोसेवा समिति ने सफाई कराई, लेकिन गोवंशों के लिए हरे चारे का प्रबंध नहीं किया गया। अब इस मामले में गोसेवा समिति के पदाधिकारी कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं। गाय का चारा खा गए, इसलिए मर रही है : बत्रा
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष श्यामसुंदर बत्रा का कहना है कि गाय का चारा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। इसलिए गाय भूखी मर रही है। इस मामले की जांच होनी चाहिए। सत्ता पक्ष केवल गाय को वोट के लिए यूज करता है। उसके बाद भूल जाता है। जांच करवाई जाएगी मामले की : गौरव
गोसेवा आयोग के मेंबर गौरव कुमार का कहना है कि गोशाला में भरपूर चारा है। चोकर भी हमारे पास है। मृत गायों को हड्डा रोडी की जमीन पर फेंका जाता है। गोशाला में ऐसे बुरे हालात नहीं है। यहां पर गाय अक्सर मर जाती है। यह सही है बुधवार को भी कई गाय मरी थी, लेकिन उन्हें उठाने वाले कर्मचारी छुट्टी पर थे। इसलिए उन्हें उठाया नहीं गया। अधिकतर वे ही गाय मरती है, जो शहर से लाकर गोशाला में छोड़ी जाती हैं, क्योंकि ये गाय अक्सर पोलिथिन खा लेती हैं।