Move to Jagran APP

बर्ड फ्लू व ग्लैंडर्स बीमारी से घबराएं नहीं, जिले में नहीं है कोई केस: डा. सुरेंद्र

प्रदेश के कुछ जिलों में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद लोग इस दुविधा में फंसे हैं कि वह चिकन व

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 08:02 AM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 08:02 AM (IST)
बर्ड फ्लू व ग्लैंडर्स बीमारी से घबराएं नहीं, जिले में नहीं है कोई केस: डा. सुरेंद्र
बर्ड फ्लू व ग्लैंडर्स बीमारी से घबराएं नहीं, जिले में नहीं है कोई केस: डा. सुरेंद्र

प्रदेश के कुछ जिलों में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद लोग इस दुविधा में फंसे हैं कि वह चिकन व अंडा खाएं या न खाएं। क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। हालांकि जिले में अभी बर्ड फ्लू का कोई केस नहीं आया है। वहीं घोड़ों में आई ग्लैंडर्स बीमारी ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों की चिता बढ़ा दी है। इसके अलावा पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लेकर एसडीओ एवं कार्यवाहक उपनिदेशक डा. सुरेंद्र कुमार से दैनिक जागरण संवाददाता राजेश कुमार ने विशेष बातचीत की। पेश है कुछ अंश..। सवाल : बर्ड फ्लू को लेकर लोग डरे हुए हैं, जिला में इसकी क्या स्थिति है।

loksabha election banner

जवाब : लोगों को बिल्कुल भी डरने की जरूरत नहीं है। जिले में इस वक्त बर्ड फ्लू का कोई भी केस नहीं है। जिले के पोल्ट्री फार्म में ब्रायलर पर नजर रखी जा रही है। सवाल : लोगों को चिकन खाना चाहिए या नहीं?

जवाब : चिकन खा सकते हैं। बर्ड फ्लू भले न हो लेकिन, चिकन को पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें। क्योंकि 70 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर बनने से वायरस मर जाता है। इसके अलावा लोग हाफ बॉयल अंडा खाने से भी परहेज करें। सवाल : जिले में कितने पोल्ट्री फार्म हैं?

जवाब : जिले में कुल 181 पोल्ट्री फार्म हैं। इनमें कुल 23 लाख 55850 ब्रायलर हैं। इनमें 1509150 ब्रायलर चिकन के लिए हैं, जबकि 846700 मुर्गियां अंडे देती हैं। सवाल : क्या जिले में घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी आई है?

जवाब : अभी जिले में घोड़ों की किसी भी प्रजाति में ग्लैंडर्स बीमारी का कोई लक्षण नहीं हैं। अंबाला में कुछ केस सामने आए हैं। इसके लिए पशुपालन विभाग की तरफ से सभी घोड़ों के मालिकों को गाइडलाइन जारी कर दी है, कि वह न तो अंबाला में घोड़ा लेकर जाएं और न ही वहां से लेकर आएं। वहीं जब तक इस बीमारी खत्म नहीं होती तब तक वह घोड़ों की खरीद फरोख्त भी न करें। सवाल : पशुओं की टैगिग से क्या फायदा होगा?

जवाब : पशुपालन विभाग द्वारा जिला के सभी पशुओं की टैगिग की जा रही है। टैग करने के बाद पशुओं का डाटा मोबाइल एप इनाफ पर अपलोड किया जा रहा है। इस पर सभी दुधारू पशुओं व इसके मालिक का रिकार्ड होगा। भविष्य में उन्हीं पशु मालिकों को सरकारी सुविधा का फायदा मिलेगा जिनके पशु टैग होंगे। सवाल : इस साल कितने पशुओं को मुंह-खुर बीमारी का टीका लगेगा?

जवाब : इस साल जिला में करीब दो लाख पशुओं को मुंह-खुर बीमारी से बचाव का टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया है। यह एक जानलेवा बीमारी है। इसलिए सभी पशुपालकों को इस बीमारी से बचाव का टीका जरूर लगवाना चाहिए। पहले इस बीमारी के दो टीके लगते थे। जिससे पशुओं को भी बार-बार दर्द सहना पड़ता था। अब दोनों बीमारी का एक ही टीका लगाया जाता है। सवाल : लोग पशुओं को इतनी सर्दी से कैसे बचाएं?

जवाब : पशुपालकों को अपना पशु धूप निकलने तक बाहर नहीं निकालना चाहिए। जिस स्थान पर पशु बांधा जाता है वह सूखा होना चाहिए। पशु के नीचे गद्दा या पराली डालनी चाहिए ताकि उसे जमीन से सर्दी न लगे। क्योंकि सर्दी लगने से पशु का दूध कम हो सकता है। सवाल : पशुओं में बांझपन की समस्या क्यों बढ़ रही है?

जवाब : पहले लोग पशु को चरने के लिए खुले में छोड़ देते थे। जहां वह खुले जमीन पर उगने वाली कई प्रकार की जड़ी बूटियों को खा लेते थे। परंतु अब पशु दिनभर एक ही जगह बंधे रहते हैं। जहां पर केवल बरसीम, भूसा, चरी ही खाते हैं। इस चारे में कीटनाशक का प्रयोग होता है। जिस वजह से पशु को जरूरी मिनरल नहीं मिल पाते। बांझपन की समस्या से निजात पानी है तो पशु को एक साल में तीन से चार किलोग्राम मिनरल बाजार से खरीद कर खिलाना चाहिए। सवाल : गायों की संख्या बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं?

जवाब : गायों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ठोस कदम उठाया गया है। गायों को सेक्सड सीमन लगाया जा रहा है। जिसके लगने से गाय 80 फीसद बछड़ी को ही जन्म देगी। इसका टीका 200 रुपये का है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.