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निगम अफसरों ने नहीं दी पाइप डालने की अनुमति, ठेकेदार ने रोक दिया काम

मटका चौक से हुड्डा सेक्टर-17 तक सड़क निर्माण व निकासी का काम नगर निगम अफसरों व ठेकेदार की कश्मकश के बीच फंस गया है। निकासी के काम का नेचर बदलने के बाद निगम अफसरों ने ठेकेदार को पाइप डालने की अनुमति आज तक नहीं दी है। जबकि इस बारे दो बार पत्र व्यवहार किया जा चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 06:16 AM (IST)
निगम अफसरों ने नहीं दी पाइप डालने की अनुमति, ठेकेदार ने रोक दिया काम
निगम अफसरों ने नहीं दी पाइप डालने की अनुमति, ठेकेदार ने रोक दिया काम

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : मटका चौक से हुड्डा सेक्टर-17 तक सड़क निर्माण व निकासी का काम नगर निगम अफसरों व ठेकेदार की कश्मकश के बीच फंस गया है। निकासी के काम का नेचर बदलने के बाद निगम अफसरों ने ठेकेदार को पाइप डालने की अनुमति आज तक नहीं दी है। जबकि इस बारे दो बार पत्र व्यवहार किया जा चुका है। दरअसल, पहले इस मार्ग पर निकासी के लिए पहले नाला बनाया जाना था, लेकिन बाद में पाइप डालने की योजना बनाई गई। पाइप डालने के लिए अधिकारियों की ओर से अनुमति दी जानी जरूरी है। निगम की ओर से मिले नोटिस के जवाब में भी ठेकेदार ने पाइप लाइन डालने की मंजूरी दिए जाने की मांग की है। अब यह आ रही परेशानी

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मटका चौक से हुड्डा सेक्टर-17 तक सड़क निर्माण व निकासी का काम एक करोड़ 45 लाख रुपये की लागत से होना है। काफी दिन से यह काम बंद पड़ा है। दोनों साइड नालों व सीवरेज के मेनहॉल खुले पड़े हैं। ऐसे में यहां हर दिन हादसे हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में यहां हर दिन हादसे हो रहे हैं। गत दिनों क्षेत्र के लोगों ने नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ रोष व्यक्त भी किया था। सड़क पर तीन शिक्षण संस्थान

इस मार्ग पर तीन बड़े शिक्षण संस्थान हैं। हजारों बच्चे हर दिन आते हैं। इसके अलावा दर्जनों वाणिज्यिक संस्थान भी हैं। सड़क निर्माण का काम अधर में छोड़ देने के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस सड़क का निर्माण शुरू करने में भी ठेकेदार ने काफी समय लगाया। इन दिनों सड़क की एक लेयर तो बना दी। बाकी काम अधर में छोड़ दिया। क्षेत्र के लोगों ने मांग की है कि यह काम जल्द शुरू कराया जाए। निकासी के काम की नेचर बदलने के बाद मैंने निकासी के लिए पाइप डालने की अनुमति मांगी है। अधिकारियों ने नहीं दी। इसलिए मजबूरी में काम रोकना पड़ा है। जैसे ही मंजूरी मिलती है, मैं काम शुरू करने के लिए तैयार हूं।

वेद कुमार, ठेकेदार। मौखिक तौर पर अनुमति दी जा चुकी है। लिखित के लिए प्रोसेस में है। मौखिक तौर पर भी अनुमति दिए जाने के बाद काम शुरू कर देना चाहिए। इस मामले को बेवजह तुल दिया जा रहा है। सड़क के निर्माण का काम तो शुरू करना चाहिए। 80 प्रतिशत काम सड़क निर्माण है।

रवि ओबराय, एक्सईएन, नगर निगम।


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