ठेकेदारों ने लगाए फर्जी दस्तावेज, निगम अधिकारियों ने रिकाल किए 10 करोड़ के कार्यों के टेंडर
नगर निगम एरिया में एजेंसियां व ठेकेदार फर्जी दस्तावेज लगाकर टेंडर भरने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। जांच के दौरान पकड़ में आने पर निगम अधिकारियों ने तीन वार्डों में करीब 10 करोड़ रुपये से होने वाले टेंडर रिकाल किए हैं। बताया जा रहा है कि जिन एजेंसियों ने फर्जी दस्तावेज लगाए थे। एक एजेंसी के ईएसआइ व पीएफ और दूसरी ने पूर्व में किए गए कार्यों से संबंधित दस्तावेज फर्जी लगा दिए। इन एजेंसियों ने ही एक दूसरे की शिकायत निगम अधिकारियों को दी थी।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
नगर निगम एरिया में एजेंसियां व ठेकेदार फर्जी दस्तावेज लगाकर टेंडर भरने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। जांच के दौरान पकड़ में आने पर निगम अधिकारियों ने तीन वार्डों में करीब 10 करोड़ रुपये से होने वाले टेंडर रिकाल किए हैं। बताया जा रहा है कि जिन एजेंसियों ने फर्जी दस्तावेज लगाए थे। एक एजेंसी के ईएसआइ व पीएफ और दूसरी ने पूर्व में किए गए कार्यों से संबंधित दस्तावेज फर्जी लगा दिए। इन एजेंसियों ने ही एक दूसरे की शिकायत निगम अधिकारियों को दी थी। जांच के दौरान दोनों एजेंसियों के दस्तावेजों में खामियां मिली हैं। बता दें कि अब से पहले दो बार भी इन टेंडरों को रिकाल किया जा चुका है।
चार वर्ष पहले हुई थी नियमित :
वर्ष-2018 में सीएम मनोहर लाल ने इन कालोनियों को नियमित किए जाने की घोषणा की थी। एक वर्ष बाद वर्ष-2019 में विकास कार्यों के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो गई। शुरुआत दौर में बड़ा टेंडर लगाए जाने का विरोध हुआ। इसे रद कर दिया गया। कालोनी वाइज छोटे-छोटे टेंडर लगाए गए। यह भी सिरे नहीं चढ़ पाए। उसके बाद दो बार रिकाल हुए। अब तीसरी बार रिकाल किया गया है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ देने के लिए बार-बार यह खेल खेला जा रहा है। ये शर्तें अनिवार्य :
संबंधित एजेंसी की अंतिम तीन साल की टर्न ओवर टेंडर की राशि के बराबर होना चाहिए। दूसरा, 80 प्रतिशत राशि का एक, 50 प्रतिशत के दो काम या फिर 40 प्रतिशत के तीन का काम समांतर राशि के होने चाहिए। संबंधित प्रमाण पत्र साथ लगाना भी जरूरी है। इन शर्तों को पूरा करने में ठेकेदारों को पसीने छूट रहे हैं। बताया जा रहा है कि अब भी दो एजेंसियां ऐसी सामने आई है जिन्होंने दस्तावेज सही नहीं लगाए। एक एजेंसी के ईएसआइ व पीएफ सर्टिफिकेट में खामी है जबकि दूसरी एजेंसी ने निर्माण कार्य संबंधी दस्तावेज सही पेश नहीं किया। पहले भी की जा चुकी शिकायत :
नियमित हुई कालोनियों में विकास कार्यों के लिए लगाए जा रहे टेंडरों को लेकर गत माह भी कमिश्नर अजय सिंह तोमर को शिकायत दी जा चुकी है। ठेकेदार विक्रम सिंह का आरोप था कि नियमित हुई कालोनियों में विकास कार्यों के लिए जो टेंडर लगाए गए हैं, उनमें खामियां बरती गई हैं। जिन एजेंसियों ने यह टेंडर भरे हैं, उनके दस्तावेजों में भी खामियां हैं। समांतर कार्यों के सर्टिफिकेट आधे-अधूरे हैं। जबकि निगम अधिकारी इनकी जांच तक करने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। अधिकारी एजेंसियों पर मेहरबानी बरत रहे हैं।
गत दिनों ये टेंडर लगे :
नियमित हुई कालोनियों में निगम की ओर से गलियों व नालियों के निर्माण के लिए टेंडर लगाए गए हैं। वार्ड नंबर 22 में 2.40 करोड़ , 21 में 2.28 करोड़ 12 में 2.22 करोड़, पांच में 1.42 करोड़, वार्ड एक में 90 लाख, वार्ड 11 में 1.77 करोड़ व वार्ड 11 में ही 1.23 करोड़ के अन्य कार्यों के टेंडर लगाए गए हैं।
18 जनवरी को घेराव दी चेतावनी :
गत दिनों वार्ड नंबर-22 की मोती बाग कालोनी वासियों ने मेयर मदन चौहान व डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर अशोक कुमार को ज्ञापन देकर मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने की मांग की थी। उन्होंने अल्टीमेटम दिया था कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो 18 जनवरी को मेयर हाउस का घेराव किया जाएगा। कालोनीवासियों की मांग है कि गलियों को पक्का किया जाए। गलियों में स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं। कालोनी में सफाई की व्यवस्था की जाए। बरसाती पानी की निकासी की व्यवस्था की जाए। नियमित हुई कालोनियों में विकास कार्यों के लिए लगाए गए टेंडर रिकाल किए गए हैं। दो एजेंसियों के दस्तावेजों में खामियां मिली हैं। इनकी जांच की जा रही है। विकास कार्य बाधित न हो, इसलिए इनको रिकाल किया गया। जल्दी ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
अजय सिंह तोमर, कमिश्नर, नगर निगम।