नहीं मिल रहा पूरा रिकार्ड, खिचती जा रही जांच
जागरण संवाददाता यमुनानगर आरसी फर्जीवाड़े की जांच रिकार्ड एकत्र
--आरसी फर्जीवाड़ा--
जागरण संवाददाता, यमुनानगर :
आरसी फर्जीवाड़े की जांच रिकार्ड एकत्र करने के नाम पर लंबी होती जा रही है। कई दिन से मुख्य आरोपित कंप्यूटर आपरेटर अमित व एमआरसी राजेंद्र डांगी रिमांड पर है। अभी तक पूरा रिकार्ड नहीं मिल सका है। अभी तक करीब 100 फाइलें ही मिल सकी हैं। हालांकि इनमें भी अधिकतर टैक्स चोरी से संबंधित हैं। कुछ अन्य कर्मियों व डीलरों के नाम भी सामने आए हैं। एसआइटी उन्हें भी पूछताछ में शामिल करने की तैयारी में है।
नीलामी के वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के नाम पर जगाधरी एसडीएम कार्यालय से बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। इसका पर्दाफाश भी सिरसा पुलिस ने किया। मामला उजागर हुआ, तो तत्कालीन जगाधरी एसडीएम दर्शन कुमार व बिलासपुर एसडीएम वीरेंद्र ढुल ने केस दर्ज करा दिए। अब इन केसों की जांच के लिए एसआइटी गठित है। एसआइटी ने अब तक दो एमआरसी संजीव कुमार व राजेंद्र डांगी को गिरफ्तार किया। एमआरसी संजीव से 25 हजार रुपये की रिकवरी हुई है। जबकि राजेंद्र से एक लाख रुपये रिकवर हो चुके हैं। फिलहाल वह रिमांड पर है। वहीं इस फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपित कंप्यूटर आपरेटर अमित भी अब एसआइटी की रिमांड पर है। दोनों से पूछताछ की जा रही है। जिसमें उन्होंने कई अन्य कर्मियों, डीलरों व प्रशासनिक अफसरों के नामों का खुलासा किया है। अब इन अफसरों व कर्मियों पर एसआइटी की नजर हैं। 23 फरवरी को आरोपित राजेंद्र डांगी व कंप्यूटर आपरेटर अमित कुमार का रिमांड पूरा हो जाएगा। फिलहाल एक आरोपित अमित बिलासपुर के केस में रिमांड पर है। उसे पुलिस अब सेक्टर 17 थाने में दर्ज केस में भी रिमांड पर ले सकती है, लेकिन राजेंद्र डांगी का रिमांड मिलना मुश्किल हो सकता है। वह पहले ही दो बार रिमांड पर लिया जा चुका है। एसआइटी उससे केस से संबंधित जानकारी भी जुटा चुकी है।
रिकार्ड मिलना मुश्किल :
एसआइटी भले ही रिकार्ड जुटाने के नाम पर आरोपितों का रिमांड ले रही है, लेकिन लाखों फाइलों में फर्जीवाड़े की फाइल तलाशना मुश्किल काम है। ऐसा भी हो सकता है कि आरोपितों ने फर्जीवाड़े से संबंधित फाइल रिकार्ड रूम में ही न रखी हो। जिस समय सिरसा पुलिस रिकार्ड लेने के लिए जगाधरी पहुंची थी, तो उन्हें पहले दिन दस्तावेज भी नहीं मिल सके थे। दो दिन बाद फिर सिरसा पुलिस आई थी। उन्होंने करीब तीन हजार गाड़ियों का रिकार्ड लिया था, लेकिन उसमें भी फर्जीवाड़े से संबंधित फाइल नहीं मिली थी। यही वजह है कि सिरसा पुलिस भी सबसे पहले पकड़े गए आरोपित सुनील चिटकारा की निशानदेही पर केवल 29 गाड़ियों ही बरामद कर सकी है।