अंधेरे में शहर : न नई लाइटें लगाने की मंजूरी, न सोडियम ठीक करने का सामान
शाम ढलते ही शहर अंधेरे डूब जाता है। नगर निगम के पास न तो नई लाइटें लगाने की मंजूरी है और न ही सोडियम लाइटों को ठीक करने के लिए सामान। खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, जगाधरी: शाम ढलते ही शहर अंधेरे डूब जाता है। नगर निगम के पास न तो नई लाइटें लगाने की मंजूरी है और न ही सोडियम लाइटों को ठीक करने के लिए सामान। खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि स्ट्रीट लाइट संबंधी लोगों की समस्या का समाधान करवाने में जनप्रतिनिधि भी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। वहीं, इस मामले में नगर निगम अधिकारी भी अपनी जवाबदेही तय नहीं कर रहे हैं।
वार्ड नंबर चार में 200 से ज्यादा लाइट खराब
वार्ड नंबर चार के पार्षद देवेंद्र सिंह के मुताबिक उनके वार्ड में 200 से ज्यादा लाइटें खराब पड़ी है। पिछले एक महीने से अग्रसेन चौक से बूड़िया तक सड़क अंधेरे में डूबी हुई है। पौने तीन साल में नगर निगम ने वार्ड नंबर चार में 20 नई लाइटें ही लगाई है। स्ट्रीट लाइटों की मेनटेनेंस के नाम पर खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। पुरानी सोडियम लाइटों से निकाले गए सामान से ही कुछेक लाइट ठीक हो पाती हैं।
वार्ड नंबर पांच में 150 से ज्यादा लाइटें खराब :
वार्ड नंबर पांच के पार्षद विनय कांबोज के मुताबिक उनके वार्ड में 150 से ज्यादा लाइटें खराब पड़ी हैं। पिछले दिनों अंधेरे में ग्रीन विहार कालोनी में सांप निकल आए। जिस कारण क्षेत्रवासियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पार्षद के मुताबिक नगर निगम में शिकायत के बाद जब समाधान नहीं हुआ, तो उन्होंने खुद पैसे खर्च कर लाइट की व्यवस्था की। विनय कांबोज की माने तो नई लाइटें लगाने के लिए पाइप, क्लंप व तार भी नहीं है।
सामान मंगवाकर लाइट ठीक करवाई जाती है
स्ट्रीट लाइटों की रिपेयर के लिए सामान न होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा जरूरी होने पर कुटेशन के जरिए सामान मंगवाकर लाइट ठीक करवाई जाती है।
एलसी चौहान, एक्सइएन, नगर निगम।