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लोगों को एक सूत्र में पिरोता छठ महापर्व

छठ पर्वो का महापर्व है। ये अकेला पर्व ऐसा है जो पूर्वाचल का सांस्कृतिक धरोहर है। लोगों को एक धागे में पिरोता है। छठ मनाने के लिए हजारों की संख्या में लोग औद्योगिक नगरी से बिहार व पटना के लिए रवाना हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 08:50 AM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 08:50 AM (IST)
लोगों को एक सूत्र में पिरोता छठ महापर्व
लोगों को एक सूत्र में पिरोता छठ महापर्व

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : छठ पर्वो का महापर्व है। ये अकेला पर्व ऐसा है, जो पूर्वाचल का सांस्कृतिक धरोहर है। लोगों को एक धागे में पिरोता है। छठ मनाने के लिए हजारों की संख्या में लोग औद्योगिक नगरी से बिहार व पटना के लिए रवाना हो चुके हैं। जिले में भी काफी संख्या में लोग हैं जो शनिवार शाम को पश्चिमी यमुना घाट पर पूजा अर्चना के लिए पहुंचेंगे। मान्यता है कि छठ पूजा ही वह पर्व है जिसमें हम बेटे ही नहीं बेटी की भी कामना करते है। बेटों की तरह बेटियों के लिए भी व्रत रखा जाता है।

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यहां पर आजाद नगर गली नंबर 10, 11, पेपर मिल, स्टार्च मिल, मंडेबर, गांधी नगर, जम्मू कॉलोनी में काफी संख्या में परिवार रहते हैं। जो छठ महापर्व यहां मनाते हैं। आजाद नगर निवासी रोशनी ने बताया कि ये महापर्व है। वे वर्षो से छठ मइया का व्रत रखती हैं। इनका कहना है कि इस पर्व में एक खास है किस्म का अनोखापन है। चाहे उगते और डूबते सूर्य को दोनों अवस्था में अ‌र्घ्य दिया जाता है। इस दौरान होने वाली पूजा में अतिशुद्धता बरती जाती है। उनको परिवार की बड़ी महिलाओं ने यही बताया है कि पूजन सच्चे मन से करना है। तभी छठ मईया प्रसन्न होती है। दोनों समय के अ‌र्घ्य भगवान सूर्य को देने हैं। परिवार के संग की गई पूजा फल देने वाली होती है।

29 वर्ष से कर रहीं है छठ माता का व्रत : शशि

आजाद नगर गली नंबर 10 की शशि वर्मा बताती हैं कि वे 29 साल से व्रत कर रहीं हैं। इससे जुड़े लोकगीत उनको बेहद पसंद है। जिस वक्त वे पूजा करने पश्चिमी यमुना नहर घाट पर जाती हैं तो गीत गाती जाती है।ये गीत भोजपुरी भाषा में है। यहां के अधिकतर लोग तो इसके बोल भी समझ नहीं पाएंगे। जो समझते हैं वे इसको जरूर गाते होंगे। वे सच्चे मन से व्रत को पूर्ण करती हैं। इस व्रत को करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है। मईया शक्ति प्रदान करती हैं, जिससे व्रत पूरा होता है।

हमीदा हेड घाट पर करती हैं पूजा : निर्मल यादव

जम्मू कॉलोनी निवासी निर्मल यादव का कहना है कि व्रत करते हुए 26 वर्ष हो चुके हैं। निर्जल व्रत करती हैं। उनका मानना है कि छठी माता के व्रत को करने वाले परिवारों में सुख शांति रहती है। उनकी मइया के साथ आस्था जुड़ी है। उनका मनपसंद गीत कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए ये गीत गायिका स्मिता राजन ने गाया है। उनको बेहद पसंद है। वे छठ पूजा के लिए हमीदा हेड के घाट पर परिवार के साथ जाती हैं।

पहली बार रखेगी व्रत : खुशबू

रेलवे कॉलोनी की खुशबू कहती हैं कि उनका ये पहला व्रत है। वे इस व्रत को पूरा करने से लेकर पूजन तक विधि से परिचित हैं। उनको पता है कि छठ महापर्व बेहद सात्विक है। ये सच्चे अर्थो में लोकपर्व है। कल से व्रत शुरू होगा। कठिन व्रत को पूरा करने के लिए तैयार हैं।


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