छठ महापर्व पर दिया अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य
महापर्व छठ पर मंगलवार शाम को व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। सूर्योपासना के पर्व को लेकर चौतरफा उल्लास व उत्साह का माहौल बना रहा। यमुना के बाडी माजरा घाट, आजाद नगर, दड़वा, हमीदा में आस्था का सैलाब उमड़ा। सभी घाटों पर भीड़ रही। पांव रखने की भी जगह नहीं थी। एहतियात के तौर पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। पुलिस ने रूट डाइवर्ट किए। यमुना पटरी पर किसी को वाहन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : महापर्व छठ पर मंगलवार शाम को व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। सूर्योपासना के पर्व को लेकर चौतरफा उल्लास व उत्साह का माहौल बना रहा। यमुना के बाडी माजरा घाट, आजाद नगर, दड़वा, हमीदा में आस्था का सैलाब उमड़ा। सभी घाटों पर भीड़ रही। पांव रखने की भी जगह नहीं थी। एहतियात के तौर पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। पुलिस ने रूट डाइवर्ट किए। यमुना पटरी पर किसी को वाहन ले जाने की अनुमति नहीं दी गई।
घरों में उल्लास, गीतों से अराधना
पहले दिन नहाय खाय के साथ छठ पर्व का शुभारंभ हुआ तो पूर्वाचल और बिहार के लोगों के घरों में उल्लास का माहौल दिखाई देने लगा। घर में एकत्र होकर महिलाओं व लड़कियों ने उल्लास के साथ छठ गीतों की धुन सजाई। कांच ही बांस की बहंगिया, बहंगी लचकत जाए जैसे प्रचलित गीत खूब गाए गए।
खरीदारी के लिए मार्केट गुलजार
बुधवार सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसमें व्रती महिलाएं व उनके परिजन अपने घरों से बांस की टोकरी में मौसमी फलों के साथ पूजन सामग्री लेकर जाएंगे। मार्केट में बड़ा व छोटा गन्ना, बांस की टोकरी, बड़े-बड़े दीयों की दुकानें सजी थी।
पुलिस की रही निगरानी
छठ पूजा को लेकर पुलिस विभाग भी काफी सक्रिय रहा। इसको लेकर शहर के अंदर दोपहर बाद बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई । वहीं सभी घाटों पर सुरक्षा को लेकर सादे वर्दी में महिला व पुरुष के जवान तैनात किए गए। एसएचओ सिटी नरेंद्र राणा ने बताया कि शाम और सुबह को यह पूजा होती है। महिलाओं की मौजूदगी ज्यादा होती है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर व्यापक प्रबंध किए गए। तड़के में चार बजे से ही महिलाओं के आने का क्रम शुरू हो जाता है। इसके लिए उन्हें रास्ते में किसी तरह की दिक्कत हो, इसके लिए राइडर लगाए गए हैं।
पति व बच्चों के लिए होती है कामना
इस त्योहार को मनाने के पीछे ये मान्यता है कि छठ माता का जो व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह व्रत पति और बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए रखा जाता है। छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं। उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशय के किनारे यह व्रत करते हैं। बहुत से लोग घर के छत पर भी यह पर्व करते हैं। इस व्रत से रोग मुक्ति का आशीर्वाद भी मिलता है।
राम व सीता ने भी किया था छठ
मान्यता के अनुसार दीपावली के छठे दिन भगवान राम ने सीता संग अपने कुल देवता सूर्य की पूजा सरयू नदी में की थी। उन्होंने षष्ठी तिथि का व्रत रखा। सरयू नदी में डूबते सूर्य को फल, मिष्ठान एवं अन्य वस्तुओं के साथ अर्घ्य प्रदान किया। सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद राजकाज संभालना शुरू किया। इसके बाद से आम जन भी सूर्य षष्ठी का पर्व मनाने लगे।
महाभारत में भी हुई थी छठ पूजा
छठ पूजा की शुरुआत के बारे में जानकार पंडित आनंद स्वरूप बताते हैं कि छठ पूजा महाभारत काल के समय से होती आ रही है। जब पांडव सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा। उन्होंने सूर्य देव और छठ मइया से पांडवों के राजपाट और सुख-समृद्धि की कामना की। जब पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला, तब द्रौपदी ने धूमधाम से छठ पूजा की थी।