दुर्गा अष्टमी पर कंजक पूजन कर लिया आशीर्वाद
दुर्गा अष्टमी पर लोगों ने कंजक पूजन किया। श्रद्धालुओं ने पहले मंदिरों में जाकर मां दुर्गा की आराधना की। उसके बाद अपने घरों में पहुंच कर कंजकों को भोजन कराया। इससे पहले कंजकों के चरण धोए गए। उनके माथे पर तिलक किया गया। बाद में सभी कंजकों को हलवा और पूरी का भोजन करा कर उनका आशीर्वाद लिया।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : दुर्गा अष्टमी पर लोगों ने कंजक पूजन किया। श्रद्धालुओं ने पहले मंदिरों में जाकर मां दुर्गा की आराधना की। उसके बाद अपने घरों में पहुंच कर कंजकों को भोजन कराया। इससे पहले कंजकों के चरण धोए गए। उनके माथे पर तिलक किया गया। बाद में सभी कंजकों को हलवा और पूरी का भोजन करा कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद सभी को उपहार दिया गया। आठवें नवरात्र पर पूजन के बाद व्रत रखने वाले श्रद्धालु़ओं ने व्रत खोल लिया। आठ दिनों से नवरात्र का श्रद्धालुओं ने व्रत रखा था। प्राचीन देवी मंदिर से पुजारी आनंद स्वरूप ने बताया कि नवरात्र में पूजा अर्चना करने से मां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
मंदिर के पुजारी संजय चतुर्वेदी ने बताया कि माना जाता है कि महागौरी की उपासना करने से पूर्व के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ है। यह कहा जाता है कि व्रत का पूरा फल कन्या पूजन के बाद ही मिलता है। नवरात्रि का व्रत रखने वाले सभी लोगों को पता होता है कि कन्या पूजन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है। कन्याओं का पूजन करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है। पूजन करने से विद्या की प्राप्ति होती है। पूजन करने से सिद्धि की प्राप्ति होती है। पूजन करने से राज्य सम्मान का प्राप्ति होती है। संपदा की प्राप्ति होती है। पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।