कोरोना महामारी में आयुष्मान की संजीवनी
अभी तक कोरोना संक्रमित 350 मरीज इस योजना के तहत इलाज चुके हैं। वर्ष 2018 से शुरू हुई इस योजना के तहत अन्य बीमारियों से ग्रसित 25689 पात्र मरीज योजना के तहत इलाज ले चुके हैं।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कोरोना महामारी के दौर में आयुष्मान भारत योजना संजीवनी बनी है। सरकार ने जब से कोरोना की बीमारी को भी इस योजना में कवर किया है। तब से पात्रधारकों को बड़ा सहारा मिला है। अभी तक कोरोना संक्रमित 350 मरीज इस योजना के तहत इलाज चुके हैं। वर्ष 2018 से शुरू हुई इस योजना के तहत अन्य बीमारियों से ग्रसित 25689 पात्र मरीज योजना के तहत इलाज ले चुके हैं।
जिले में आयुष्मान के पैनल पर 20 निजी चिकित्सालय, पांच सीएचसी व दो सरकारी अस्पताल हैं। निजी में गोयल अस्पताल, गर्ग इएनटी, कपिल अस्पताल, स्वामी विवेकानंद अस्पताल, एनके यूरोलॉजिस्ट, महेंद्रा अस्पताल, गाबा अस्पताल, आइक्यू विजन प्राइवेट लिमिटेड, अग्रवाल अस्पताल, गोयल आइ केयर सेंटर, विशाल अस्पताल, गुलाटी अस्पताल, कोहली अस्पताल, वरदान अस्पताल, संतोष अस्पताल, शर्मा अस्पताल, एसपी व दाबड़ा अस्पताल शामिल हैं। इन सभी अस्पतालों में सरकार की ओर से निर्धारित किए हुए पैकेज के हिसाब से इलाज किया जा रहा है।
इलाज के लिए निर्धारित की गई दरें
2500 रुपये- कोरोना संदिग्ध टेस्टिग
1800 रुपये -सामान्य वार्ड (आइसोलेशन) में भर्ती प्रति बेड
2700 रुपये- हाइडिपेंसी यूनिट में भर्ती संक्रमित पर प्रतिदिन
3600 रुपये- आइसीयू में भर्ती संक्रमित मरीज पर प्रतिदिन
4500 रुपये- वेंटिलेटर पर भर्ती संक्रमित मरीज पर रोजाना ये हैं जिले में आयुष्मान कार्डधारक
4,24050- चयनित पात्र
29122- अब तक बनाए गए गोल्डन कार्ड
25689- अन्य बीमारियों में मरीजों ने लिया इलाज
350 - कोरोना संक्रमितों ने लिया इलाज इस योजना से मिला बेहतर इलाज
कैंप कालोनी निवासी सरोज ने बताया कि उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया था। आयुष्मान योजना का कार्ड बना हुआ है। जिस पर निजी अस्पताल में दाखिल हुए। जो भी खर्च हुआ। वह कार्ड से वहन हो गया। यदि कार्ड नहीं होता, तो निजी अस्पताल में इलाज कराना मुश्किल था। अब पूरी तरह से ठीक हूं। वहीं साढौरा निवासी सतपाल ने बताया कि उनके पिता को कोरोना संक्रमण हो गया था। उन्हें निजी अस्पताल में दाखिल कराया। आयुष्मान योजना से इलाज हुआ, कोई पैसा नहीं देना पड़ा।
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कोरोना संक्रमित काफी लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है। उन्हें इलाज के लिए कोई पैसा नहीं देना पड़ा। अभी कुछ पात्रों के कार्ड नहीं बने हैं। इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग की कोशिश है कि जो भी पात्रता के दायरे में है, उसका कार्ड बन जाए।
डा. विजय दहिया, सिविल सर्जन यमुनानगर।